Book Title: Pratishtha Lekh Sangraha Part 02
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Vinaysagar
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प्रतिष्ठा - लेख - संग्रहः द्वितीयो विभागः
(४९९ ) सपरिकर पार्श्वनाथ - मूलनायक :
संवत् १९०० आषाढ सुद ५ रवौ श्रीपार्श्वजिनबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीमद्बृहद्भट्टारक खरतरगच्छे........... .श्रीजिननंदीवर्द्धनसूरिभिः ॥
(५००) पार्श्वनाथ - मूलनायक :
॥ सं० १९०० वर्षे शाके १७६५ व० प्रमिते आषाढ सित ५ रवौ श्रीजयनगरवास्तव्य श्रीसंघेन श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारितं चारित्रउदय प्रतिष्ठितं श्रीमद्बृहद्भट्टारकखरतरगच्छीय श्रीजिनाक्षयसूरिपदस्थ श्रीजिनचन्द्रसूरिचरणमधुकरेण श्रीजिननंदीवर्द्धनसूरिभिः पूजका समृद्धिः ॥
(५०१ ) नमिनाथ:
नमिनाथबिंबं कारितं प्र । भ । श्रीजिनहर्षसूरिभिः ॥
(५०२) पञ्चचरणपादुका
॥ पं० श्री चतुरविजयजी । पं० श्री..........। पं० श्रीविद्याविजयजी । पं० श्रीभावविजयजी । पं० श्रीलक्ष्मीविजयजी ।
(५०३) पार्श्वनाथ - एकतीर्थी: श्रीपूज्यजी धर्मरत्नसूरि शिष्य विनयकीर्तिमुनि
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(५०४) षट्चरणपादुका
श्रीसमर चन्द्रसूरि पादुका ॥ श्रीपूज्यश्री पासचंदसूरीश्वरजी ॥ श्रीरामचंदसूरीश्वरजी ॥ श्रीविमलचन्द्रसूरिगुरुभ्यो नमः ॥ श्रीजयचन्द्रसूरिगुरुभ्यो नमः ॥ उपाध्याय श्रीपूर्णचन्द्रेभ्यो नमः ॥
(५०५ ) बहादुरमल बाफणा पादुका
सं० १९०१ शाके १७६६ प्रवर्तमाने वैशाख मासे शुक्लपक्षे सप्तमीतिथौ गुरुवासरे बाफणा श्रीगुमानचंदजी तत्पुत्र संघवीजी श्रीबहादुरमलजी
४९९. जयपुर श्रीमालों की दादाबाड़ी ५००. जयपुर श्रीमालों का मंदिर ५०१. जयपुर पञ्चायती मंदिर ५०२. किसनगढ़ हीरविजयसूरि बगीची ५०३. नागोर मुकनसुंदरजी का उपाश्रय ५०४. मेड़ता सिटी महावीर मंदिर ५०५. कोटा दानबाड़ी
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