Book Title: Pratishtha Lekh Sangraha Part 02
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Vinaysagar

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Page 135
________________ ११० प्रतिष्ठा-लेख-संग्रहः द्वितीयो विभागः (५६२) सेठ धनरूपजी पादुका ॥ संवत् १९०९ मिति आषाढ वदि १२ सोमवार दिने सेठजी श्रीधनरूपजी का पगल्या कंवरजी श्री बागमलजी पधराया अजमेर नगरे कल्याणमस्तु॥ (५६३) द्वादश-पादुका ॥ संवत् १९०९ प्रमिते शाके १७७४ प्रवर्तमाने मासोत्तममासे माघमासे शुभे शुक्लपक्षे १३ त्रयोदश्यां तिथौ यामिनीनाथवासरे पुष्यनक्षत्रे श्रीमबृहत्तपागच्छे जंगम युगप्रधान भट्टारकजी श्रीविजयदेवेन्द्रसूरिजितां धर्मराज्ये विद्यमाने श्रीविमलगिरिवरौ श्रीजिनेन्द्रट्रंकमध्ये पंजयसागर गणिना श्रीमच्चारित्रसागरादिस्वगुरूणां पट्टपरंपरापादुका सुमुहुर्तेन प्रतिष्ठिता सा शुभं कुर्वन्तु। ॥ पं। चारित्रसागरजी॥ ॥ पं। विचारसागरजी॥ ॥ पं। कल्याणसागरजी॥ ॥ पं। जयसागरजी॥ ॥ पं। जसवंतसागरजी॥ ॥ पं। मुक्तिसागरजी॥ ॥ पं। गजरूपसागरजी॥ ॥ पं। खुश्यालसागरजी॥ ॥ पं। जोधसागरजी॥ ॥ पं। गुमानसागरजी॥ | पं। जयवंतसागरजी॥ ॥ सर्वगुरूणां पादुकाः॥ (५६४) शिलालेख-प्रशस्तिः ॥ श्री जिनाय नमः॥ त्रैलोक्यप्रभु-श्रीशान्तिनाथाय स्वामिजिनेन्द्राणामयं प्रासाद(:) श्रीविजयताम्॥ श्रीमते शान्तिनाथाय नमः शान्तिविधायिने त्रैलोक्यस्यामराधीश-मुकुटाभ्यर्चितांघ्रये॥ १॥ शान्ति शान्तिकरः श्रीमान् शांति दिशतु मे गुरुः शान्तिरेव सदा तेषां येषां शान्तिर्गृहे गृहे ॥ २॥ सं० १९०९ प्रमिते शाके १७७४ प्रवर्तमाने मासोत्तममासे फाल्गुनमासे शुभे सितपक्षे पञ्चम्यां तिथौ रजनीनाथवासरे राजराजेश्वर श्रीमान् महाराजाधिराज पृथिवीसिंहजीनां विजयमाने साम्राज्ये श्रीबृहत्तपागच्छे जं। यु। भट्टा..........श्रीविजयदेवेन्द्रसूरिजितां धर्मराज्ये विद्यमाने श्रीकृष्णगढनगरवास्तव्य ओसवाल मोहनोत गोत्रे। सा। श्रीअमरसिंहेन समस्तसंघसहितेनासौ कारितः। श्रीमद्गुमानसागरजिद्गणिगजेन्द्राणां शिष्य पं। श्रीजयवंतसागरजित् गणिना शिष्य पं० जयसागरगणिना प्रासादोऽयं शुभमुहूर्तेन प्रतिष्ठितं शुभंभवतु ॥ ५६२. अजमेर दादाबाड़ी ५६३. गागरडु आदिनाथ मंदिर ५६४. किसनगढ़ शांतिनाथ मंदिर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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