Book Title: Pratishtha Lekh Sangraha Part 02
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Vinaysagar

Previous | Next

Page 141
________________ ११६ (५९३) आदिनाथ - मूलनायक : ॥ सं० १९१९ का शाके १७८४ प्रवर्तमाने फाल्गुनमासे शुभे शुक्लपक्षे ३ भृगुवासरे श्रीऋषभजिनबिंबं प्रतिष्ठितं भ । श्रीविजयधरणेन्द्रसूरीणां विजयराज्ये पं। जयसागरेण । जयनगरवास्तव्य सुश्रावक कोचरमुहता चुनीलाल सुत सुखलालकेन कारापितं ॥ श्रीतपागच्छे श्रीदांतरीनगरे ॥ प्रतिष्ठा - लेख - संग्रह : द्वितीयो विभागः (५९४ ) पद्मप्रभः ॥ सं० १९१९ का शाके १७८४ प्र । फा। सु० ३ शुक्रे श्रीपद्मप्रभुजिनबिंबं प्रतिष्ठितं भ । श्रीविजयधरणेन्द्रसूरिणा श्रीतपागच्छे। ....... (५९५ ) महावीर : ॥ सं० १९१९ का शा । १७८४ प्र । फाल्गुण सुदि ३ शुक्रवासरे श्रीमहावीरजिनबिंबं प्रतिष्ठितं भ। श्रीविजयधरणेन्द्रसूरिणा । (५९६ ) शीतलनाथः ॥ सं० १९१९ का शा । १७८४ प्र । फा० सु । ३ शुक्रे श्रीशीतलनाथबिंबं प्रतिष्ठितं । श्रीविजयधरणेन्द्रसूरिणा (५९७ ) अजितनाथ: ॥ सं० १९१९ का शाके १७८४ प्र० फाल्गुण शुक्ल ३ भृगौ श्रीअजितजिनबिंबं प्रतिष्ठितं भ । श्री विजयधरणेन्द्रसूरिणा श्रीतपागच्छे | (५९८) सुखलाल - कोचर-मूर्तिः || श्रीमंदिर बणायो सुखलालजी कोचर मिति फागुण सुदि ३ संवत् १९१९ का। (५९९) गौतमस्वामी - मूर्तिः ॥ सं० १९१९ शा। १७८४ वर्षे मिति फागुण सुदि ३ शुक्रे । श्रीइन्द्रभूति गौतमगणधरस्य बिंबं प्रतिष्ठितं । भ । श्रीविजयधरणेन्द्रसूरिभिः श्रीः । (६०० ) जिनकुशलसूरि - पादुका रौप्यमय सं० १९२० वै। शु। ५ गु । चौपड़ा कोठारी गोत्रीय हुकमचंद तत्पुत्र लक्ष्मीचंद तेन श्रीजिनकुशलसूरीणां चरणपंकज कारितं प्र । श्रीजिनकल्याणसूरि ५९३.५९८. दांतरी ऋषभदेव मन्दिर ५९९. अजमेर गौड़ी पार्श्वनाथ मन्दिर ६००. जयपुर पञ्चायती मन्दिर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218