Book Title: Pratishtha Lekh Sangraha Part 02
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Vinaysagar

Previous | Next

Page 138
________________ प्रतिष्ठा - लेख - संग्रह : द्वितीयो विभागः सूरिभिः । (५७५) जिनदत्तसरिर-पादुका रौप्यमयी श्रीजिनदत्तसूरीणां पादुका लु । पदमश्रीकारापितं प्र । श्रीजिनमहेन्द्र ९००० मिते सं० बादुरेन प्र । सर्व्वसूरि बंगदेशे (५७६) सिद्धचक्र-यंत्रम् १९११ माघ शु० १० का । राजा । धनपतसिंह ११३ (५७७) उदयराज - गणि-पादुका ॥ ॐ संवत् १९१३ रा शाके १७७८ प्र । मासोत्तममासे माधवमासे शुक्लपक्षे अक्षयतृतीयायां तिथौ बुधवासरे खरतरगच्छे पं । उ । शिवचन्द्रजीगणेः पौत्रशिष्य पं । प्र । उदयराजजिच्चरणाब्जन्यासकृतं प्रतिष्ठापितं च । शि । तिलोकचन्द्र - नेमिचन्द्रेण कारापितं ॥ (५७८) सिद्धचक्र-यंत्रम् ॥ सं० १९९२ जेठ सुदि ५ सोमवारे ममइया । सा । बागमलजी ने प्रतिष्ठापितं सर्वसूरिभिः श्री अजमेरमध्ये ॥ (५७९) सिद्धचक्रयंत्रम् ॥ संवत् १९१२ पोष वदि १० वार शुक्र बाई हरकुंवरबाई करापितं ॥ (५८०) आर्या - पादुका- युगल ॥ श्रीः॥ सं० १९१२ का वर्षे मिति माघ सुदि० १० दिने शुक्रवारे श्रीपार्श्वचन्द्रसूरिगच्छे आर्या श्री १०५ श्रीकेशरजी तच्छिष्याणी श्रीलिछमाजी चरणकमलौ प्रतिष्ठितौ श्रेयोर्थी ॥ ५७५. जयपुर सुमतिनाथ मंदिर ५७६. जयपुर सुमतिनाथ मंदिर ५७७. जयपुर मोहनबाड़ी ५७८. अजमेर संभवनाथ मंदिर ५७९. हिंडोन श्रेयांसनाथ मंदिर ५८०. नागोर पायचंद गच्छ दादाबाड़ी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218