Book Title: Pratishtha Lekh Sangraha Part 02
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Vinaysagar
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प्रतिष्ठा-लेख-संग्रहः द्वितीयो विभागः
(४८७) सिद्धचक्रयंत्रम् ॥ संवत् १८९५ मिति ज्येष्ठ शुक्ल १० शनिवासरे भट्टारक श्री श्रीजिननंदीवर्द्धनसूरीश्वरजी उपदेशात् श्रीमालगोत्रे खारडगो। प्रसिंहरायजी तत्पुत्र सा० चैनसिंहजी श्रीसिद्धचक्रयंत्रकरापितं श्रीखरतरगच्छाधीश भट्टारक श्रीजिननंदीवर्द्धनसूरीश्वरजी प्रतिष्ठितं। श्रीलक्ष्मणपुर।
(४८८) सिद्धचक्रयंत्रम् ॥ संवत् १८९६ चैत सुदि १० दिने रविवारे श्रीसिद्धचक्रयंत्रमिदं । प्रतिष्ठितं सवाई जैपुरनगरमध्ये। पं। यशविजयगणिना। कारितं बीकानेर वास्तव्य बांठीया शार्दूलसीकेन श्रेयोर्थम्॥
(४८९) आदिनाथः ॥ संवत् १८९६ रा शा० १७६१ वर्षे वैशाख सुदि ८ दिने प्रतिष्ठितं। जं। यु। प्र। भट्टारक श्रीजिनकीर्तिसूरिभिः। करापितं मुहणोत पेमचंदजी श्री.........खरतरबृहत्आचार्य गच्छे। श्रीऋषभदेवजीबिंबं ।
(४९०) चन्द्रप्रभः सं० १८९६ शा० १७६१ वर्षे वैशाख सुदि ८ दिने श्रीचन्द्रप्रभुजी बिंबं प्रतिष्ठितं। जं। यु। प्रधान भट्टारक श्रीजिनकीर्तिसूरिभिः श्रीखरतरबृहत्आचार्यगच्छे करापितं..........।
(४९१) गौडी पार्श्वनाथ-पादुका सं। १८९६ रा ज्ये। सु। १३ श्रीगवडीपार्श्वजितां पादुके करापिते श्रीआणंदरत्न गणिना प्रतिष्ठित अपरनाम्ना उदयचन्द्रेण ।
(४९२) धनविजय-पादुका ॥ र्द० ॥ संवत् १८९६ वर्षे शाके १७६१ प्रवर्तमाने माघ मासे कृष्णपक्षे पञ्चम्यां तिथौ शनिवासरे पूज्य पं। श्रीश्रीधनविजयजित्कस्य पादुकेयं। श्रीसंघेन स्थापितं ॥ शुभंभवतु ॥
४८७. जयपुर पञ्चायती मंदिर ४८८. दांतरी ऋषभदेव मंदिर ४८९. रतलाम सुमतिनाथ मंदिर ४९०. रतलाम सुमतिनाथ मंदिर ४९१. मंडोर दफ्तरियों का मंदिर ४९२. मेड़ता सिटी श्मसान
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