Book Title: Pratishtha Lekh Sangraha Part 02
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Vinaysagar

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Page 111
________________ प्रतिष्ठा-लेख-संग्रहः द्वितीयो विभागः (४३४) सिद्धचक्रयंत्रम् ॥ सं० १८७० मिते आषाढ सुदि ८ दिने मेडतावास्तव्य महिमिया गोत्रीय साह रौडमल्लेन श्रीसिद्धचक्रं कारितं प्रतिष्ठितं च वाचनाचार्य श्रीअमृतधर्मगणिशिष्य पाठक श्रीक्षमाकल्याणगणिभिः॥ (४३५) अनोपचंद महमिया पादुका ॥ दादाजी श्री अनोपचंदजी महमइयाजी का रा पगल्या का मिति मिगसर वद ९ अदीतवारे सं। १८७१ का अजमेलगा आऊको संपूरण कीनो॥ (४३६) विजयधर्मरलसूरि-मूर्तिः ॥ संवत् १८७२ शाके १७३७ प्रवर्तमाने द्वितीय चैत्र सुदि १३ शुक्रे दिने सकलभट्टारकपुरंदर भट्टारक श्री १०८ श्रीविजयक्षमासूरीश्वर तत्पट्टे भट्टारक श्री १०८ श्रीविजयदयासूरिजी तत्पट्टे भट्टारकजी श्री १०८ श्रीविजयधर्मरत्नसूरीश्वराणां बिंबं निर्मापितं भट्टारकजी श्री १०८ श्रीविजयजिनेन्द्रसूरिभिः प्रतिष्ठिता तपागच्छे मेडतानगरे शुभंभवतु ॥ (४३७) सागरचन्द्र-पादुका ॥ स्वस्ति श्री ॥ संवत् १८७२ शाके १७३७ तत्र वैशाख सुदि ६ षष्ठी तिथौ रविवासरे पुष्यनक्षत्रे पं। प्र। पं। श्री १०८ श्रीसागरचन्द्रजिन्महर्षिणां चरणौ प्रतिष्ठितौ। (४३८) ताम्रपत्र-लेखः ओम्॥ श्रीगणेशाय नमः॥ संवत् १८७२ वर्षे शाके १७३७ आषाढ़ सुदी ६ बुधवासरे। इष्टघटि ६। ३३ तत्समये लग्नप्रवर्तमानसमये श्रीवर्द्धमानजिनस्य मंदिरं प्रतिष्ठितं महाराव जी महाराज श्री श्री ५ श्री उम्मेदसिंहजी विजयराज्ये ॥ राजश्री श्री जालिमसिंहजी वचनात् मन्दिर कारितम् उम्मेदपुर छावनीमध्ये सकलसंघस्ये कोपे भयात् (?) सकलसंघेन कारितम्॥ कारीगर उम्मेदराजेन लिखितम्॥ ४३४. अजमेर संभवनाथ मंदिर ४३५. अजमेर दादाबाड़ी ४३६. मेड़ता सिटी पार्श्वनाथ मंदिर बगीची ४३७. अजमेर दादाबाड़ी ४३८. वृजनगर (झालावाड़) महावीर मंदिर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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