Book Title: Pratapmuni Abhinandan Granth
Author(s): Rameshmuni
Publisher: Kesar Kastur Swadhyaya Samiti

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Page 5
________________ मेरी कलम : मेरे विचार प्रस्तुत 'मुनि श्री प्रताप अभिनंदन ग्रन्थ' पाठको के कमनीय करकमलो की शोभा बढा रहा है । इस ग्रन्थ के लेखक-सम्पादक मेरे श्रद्धा के केन्द्र सिद्धान्तआचार्य, 'साहित्यरत्न' मधुरवक्ता श्री रमेश मुनि जी मा सा, है जिनके सराहनीय परिश्रम ने इतस्तत बिखरी हुई जीवनोपयोगी सामग्री को सग्रहीत करके ग्रन्यरूप मे प्रतिभापूर्वक सजाने का श्लाघनीय प्रयास किया है। ग्रन्थ की विशेषताप्रस्तुत ग्रन्थ में चार खण्ड हैं। प्रथम खण्ड मे गुरुप्रवर का समुज्ज्वल जीवनदर्शन है। द्वितीय खण्ड मे, संस्मरण, शुभकामनायें एवंवन्दनाजलियो का संकलन किया गया है। तृतीयखण्ड मे प्रवचन पखुडियो का चयन एव चतुर्थखण्ड मे धर्म, दर्शन एव संस्कृति से सम्बन्धित विद्वानो के लेख है । इस प्रकार यह ग्रन्थ चार खण्डो मे होते हुए भी वृहदाकार होने से बच गया है। साथ ही सारपूर्णता है ही। विशालकाय ग्रन्थ पुस्तकालयो के लिए दर्शनीय वस्तु बन जाती है। पाठकगण जैसा चाहिए वैसा उपयोग नही कर पाते हैं । अतः इस ग्रन्थ को आकार मे लघु रखकर भी सारपूर्ण बनाने का प्रयत्न किया है। जहां-तहाँ प्रतिपाद्य विषय-शैली का प्रवाह मन्थरगति से प्रवाहित होता हुआ अतीव सरल-सुगम एव धर्म-दर्शन तत्त्वो से गर्भित प्लावित है, जो पाठकवृन्द के लिए उत्तरोत्तर रूचिवर्षक बन पडा है । किसलिए? अभिनन्दन ग्रन्थ सुसाहित्य भण्डार की अनुपम शान है । अमुक-अमुक युग मे जो यशस्वी विभूतिया हुई है उनका आद्योपांत जीवन दर्शन लिखा रहता है । उस जीवन वृत्त से भूली-भटकी एव अध पतन के गर्भ मे गिरती मानवता को पुन संभलने का स्वर्णिम अवसर मिलता

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