Book Title: Prakrit Vyakaran Praveshika Author(s): Satyaranjan Banerjee Publisher: Jain Bhavan View full book textPage 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आरम्भ में यह प्राकृत व्याकरण प्रवेशिका तित्थयर के खण्ड २१ अंक ८, ९, १०, ११, १२, वर्ष १९९७, १९९८ में धारावाहिक रूप से प्रकाशित हो चुकी है। पठन की सविधा के लिये जैन भवन ने इन लेखों को आकलन कर पस्तकाकार रूप में प्रकाशित करने का बीड़ा उठाया । इस कार्य को साकार करने में जैन भवन के सचिव श्री पवित्र कमार जी दगड़ एवं सह सचिव श्री दिलीप सिंह जी नाहटा ने महत्वपूर्ण सहयोग दिया । इस कार्य की पूर्णता तित्थयर की संपादिका श्रीमती लता बोथरा के अथक परिश्रम एवं सहयोग के बिना असंभव थी । इस पूरी परियोजना के पीछे उनकी सार्थक परिकल्पना का भी महत्वपूर्ण हाथ रहा है । उनके इस योगदान के लिये मैं उनका आभारी हूँ। पर आभार प्रकट करने के स्थान पर उनको आशीर्वाद देता हूँ कि वे अपने निर्दिष्ट कार्य में सदा सफल होकर पत्रिका का नाम उज्जवल करें। इस प्राकृत व्याकरण में जितने नियम अति संक्षिप्त हो सकते थे उतने ही दिये गये हैं । आशा है ये किताब पढ़ करके प्राकृत जिज्ञासु लोग बहुत ही लाभान्वित होंगे । इति श्री सत्यरंजन बनर्जी For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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