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रूप-तत्त्व
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यथा- अक्षम:-अख्खमो-अक्खमो, ऐसा सर्वत्र होता है ।
च) प्राकृत में क्ष्म, श्म, ष्म, स्म, ह्म को म्ह होता है । यथाक्ष्म- पक्ष्मन् - पम्हाई श्म- कुश्मानः-कुम्हाणो, कश्मीराः-कम्हारा । ष्म- ग्रीष्मः-गिम्हो, ऊष्मा-उम्हा । स्म- अस्मादृशः अम्हारिसो, विस्मयः-विम्हओ । ह्म- ब्रह्मा-बम्हा, सह्मा-सम्हा, ब्राह्मणः - बम्हणो । छ) प्राकृत में श्न, ष्ण, स्न, ह्र, ल, क्ष्ण को ण्ह होता है । यथाश्न- प्रश्नः- पण्हो ष्ण- विष्णुः- विण्हू स्न- ज्योत्स्ना-जोण्हा ह्न- वह्निः-वण्ही ल- पूर्वाह्नः-पवण्हो क्ष्ण- तीक्ष्णं-तिण्हं ।
रूप-तत्त्व (Morphology)
७. विशेष्य : विशेष्य का प्राकृत में सविभक्ति रूप होता है । जिसको हम शब्दरूप कहते हैं । विशेष्य का वचन, लिंग, कारक, विभक्ति और शब्दरूप होता है।
वचन
प्राकृत में केवल दो वचन है- एकवचन और बहुवचन । संस्कृत का द्विवचन प्राकृत में नहीं होता है । उसकी जगह पर बहवचन होता है ।
(द्विवचनस्य बहुवचनम् (हे. ३.१३०)। लिंग
साधारणतया संस्कृत के अनुसार प्राकृत में भी तीन लिंग होते हैं । यथा- पलिंग, स्त्रीलिंग, नपंसकलिंग । किन्त कुछ-कुछ ऐसे शब्द हैं जिसमें संस्कृत लिंग का अनुसरण प्राकृत में नहीं होता है । जैसे संस्कृत में तरणि शब्द स्त्रीलिंग होता है किन्तु प्राकृत में पलिंग होता है (यथा, एस तरणी)। इस तरह प्रावृट् शब्द संस्कृत में स्त्रीलिंग है प्राकृत में पुलिंग है (यथा, पाउसो)। इसका मार्गदर्शन तत्तत् स्थल पर दिखायेंगे ।
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