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प्राकृत व्याकरण प्रवेशिका
१०. क्रिया की भूमि - प्राकृत में अन्तिम हलन्त व्यन्जन नहीं होता है । इसलिए प्राकृत में कोई हलन्त व्यन्जनान्त धात भी नहीं होता है । अर्थात् हस धातु अ विकरण से हस रूप बन जाता है । इसलिए हस प्राकृत में क्रिया की भूमि कहलाती है । इसी के साथ तिङ् विभक्ति का योग होता है । अर्थात् हस् अ-इ = हस इ = हसइ । क्रिया का रूप समझाने के लिए क्रिया की भूमि के ज्ञान की आवश्यकता है ।
निर्देशक
वर्तमान
११. क्रिया विभक्ति ( तिङ् विभक्ति) -- प्राकृत में क्रिया के काल और क्रिया के भाव प्रकट करने के लिए तिङ् विभक्ति होती है । वह विभक्ति संस्कृत से भिन्न है । उपर्युक्त क्रिया का काल एवं क्रिया का भाव संस्कृत से अलग है । नीचे विभक्ति का रूप देता हूँ ।
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१२. क्रिया का रूप - प्राकृत में उपर्युक्त क्रिया के तीन कालों एवं पांच लकारों का रूप मिलता है ।