Book Title: Prakrit Vyakaran Praveshika
Author(s): Satyaranjan Banerjee
Publisher: Jain Bhavan

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Page 40
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सर्वनाम शब्द रूप ३९ यद्-ज नपंसकलिंग विभक्ति । एकवचन बहुवचन प्रथमा जं जाणि, जाई, जाइँ द्वितीया जं जाणि, जाई, जाइ शेष सभी रूप पलिंग “ज'' के समान चलते हैं। किम-क पलिंग विभक्ति एकवचन प्रथमा द्वितीया केण, किणा केहि, केहि तृतीया चतर्थी + X पंचमी कओ, कत्तो काहिंतो, कासंतो षष्ठी कस्स, कास काण, काणं, केसिं सप्तमी कस्सिं, कम्मि, कत्थ, केसु, केसिं कहिं, कस्सि संबोधन x किम्-का स्त्रीलिंग विभक्ति | एकवचन बहवचन प्रथमा | काओ, काउ, कीओ, कीउ द्वितीया । कं काओ, काउ, कीओ, कीउ तृतीया काए, काइ, कीए, कीअ, क़ीआ काहि, कीहिं, कीहिं,कीहिं का चतुर्थी पंचमी काओ, काउ, कीओ, | काहिंतो, कासंतो, कीहितो, कीउ, कीण | कीसंतो पष्ठी कस्सा, किस्सा, कासे, कीसे, कासां, केसिं, कासिं, काणं कीइ, कीअ, कीआ, काइ, काए काण, कीणे, कीण सप्तमी काए, काइ, कीए, कीइ | कासु-सुं, कीसु-सुं कीआ, कीअ, काहे, कइआ संबोधन | x |x For Private and Personal Use Only

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