Book Title: Prakrit Vyakaran Praveshika
Author(s): Satyaranjan Banerjee
Publisher: Jain Bhavan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्राकृत व्याकरण प्रवेशिका
विभक्ति
प्रथमा
इकारान्त पुलिंग शब्द का रूप
गिरि एकवचन
बहुवचन गिरी
गिरी, गिरओ, गिरउ,
गिरिणो गिरि
गिरी, गिरिणो गिरिणा
गिरीहि-हिं-हिं
द्वितीया
तृतीया
चतुर्थी पंचमी
षष्ठी
गिरिणो, गिरित्तो, गिरीओ, गिरीउ, गिरीहिंतो गिरिणो, गिरिस्स गिरिम्मि गिरि, गिरी
गिरित्तो, गिरीओ, गिरीउ, गिरीहिंतो, गिरीसंतो गिरीण-णं गिरीस-सं गिरिणो, गिरओ, गिरउ, गिरी
सप्तमी
सम्बोधन
विभक्ति
प्रथमा
उकारान्त पुलिंग शब्द का रूप
तरु एकवचन
बहवचन तरू, तरवो, तरओ,
तरउ, तरूणो तलं
तरू, तरूणो तरुणा
तरूहि-हिं-हिँ
तरू
द्वितीया तृतीया
चतुर्थी
पंचमी
षष्ठी सप्तमी सम्बोधन
तरुणो, तरुत्तो, तरूओ, तरूउ, तरूहिंतो तरुणो, तरुस्स तरुम्मि तरु, तरू
तरुत्तो, तरूओ, तरुउ तरूहिंतो, तरूसंतों तरूण, -णं तरूस-सं तरू, तरुणो, तरवो, तरउ, तरओ
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57