Book Title: Prakrit Vyakaran Praveshika
Author(s): Satyaranjan Banerjee
Publisher: Jain Bhavan

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Page 28
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शब्द रूप २७ एकवचन बहवचन विभक्ति चतर्थी पंचमी भत्तारा, भत्तारत्तो, भत्तारत्तो, भत्तारओ, भत्तारओ, भत्तारउ, भत्तारउ, भत्ताराहि, भत्तारहितो, भत्ताराहि, भत्ताराहि, भत्तारहिंतो भत्तुणो, भत्तुत्तो, भत्तूओ, | भत्तारेहितो, भत्तारसुतो भत्तूउ, भत्तूहिंतो, भत्तू । भत्तारेसुंतो, भतुत्तो, भत्तूओ, भत्तूउ, भत्तूहिंतो, भत्तूसंतो भत्तारस्स, भत्तुणो, भत्तुस्स | भत्ताराण-णं, भत्तूण-णं भत्तारे, भत्तारम्मि, भत्तुम्मि भत्तारेसु-सुं, भत्तूसु-सुं भत्तार, भत्तारो, भत्तारा, | भत्तारा,भत्तू, भत्तुणों भत्तु, भत्तू षष्ठी सप्तमी सम्बोधन राजन्-राय विभक्ति एकवचन प्रथमा राया द्वितीया रायं, राइणं बहुवचन राया, रायाणो, राइणो राये, राया, रायाणो, राइणो राएडि-हिं-हिँ, राईहि-हिं-हिँ तृतीया राइणा, रण्णा, राएण-णं चतुर्थी पंचमी षष्ठी सप्तमी रण्णो, राइणो, रायत्तो । रण्णो, राइणो, रायस्स । राये, रायम्मि, राइम्मि राया, राय रायत्तो, राइत्तो राईण-णं, रायाण-णं राईसु-सुं, राएसु-सु राया, रायाणो, राइणो सम्बोधन For Private and Personal Use Only

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