Book Title: Prakrit Vyakaran Praveshika
Author(s): Satyaranjan Banerjee
Publisher: Jain Bhavan

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Page 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रस्तावना प्राकृत व्याकरण प्रवेशिका लिखने का अपना एक इतिहास है । विगत मई १९८९ में जब मैं कलकत्ता से लाडनूं आया, तब आचार्य श्री तुलसी ने मझे आदेश दिया प्राकृत कार्यशाला आयोजित करने के लिए । आचार्य श्री के निर्देश को मैंने आशीर्वाद के रूप में स्वीकार किया । इसी आशीर्वाद के फलस्वरूप यह प्राकृत व्याकरण प्रवेशिका आज आपके हाथों में है। यह ग्रंथ प्राकृत सीखने के लिए प्रारम्भिक परिचय है । प्राकृत कार्यशाला केवल उन्हीं विद्यार्थियों के लिए है, जो प्राकृत नहीं जानते हैं । इसलिए इसमें केवल प्राकृत भाषा के जो मख्य-मख्य नियम हैं उसी के आधार पर यह प्रवेशिका विरचित हुई है । जो अधिक प्राकृत भाषा का ज्ञान जानते हैं उनके लिए यह ग्रंथ सामान्य सा हो सकता है। भाषा सीखने के तीन स्तर हैं- प्रारम्भिक, माध्यमिक और उच्च । प्रारम्भिक पढ़ने के बाद मध्यम स्तर में प्रवेश होता है । मध्यम स्तर में भाषा के अन्य विषयों पर ध्यान देना होता है । प्रारम्भिक स्तर से अधिक नियम और व्याकरण इसमें आते हैं । उच्चस्तर में इससे भी अधिक व्याकरण, भाषा-तत्व के गूढ़ तथ्य, भाषा की वाक्य रीति इत्यादि विषयों पर अधिक ध्यान देना आवश्यक होता है । इन सभी स्तरों पर भाषा का साहित्य भी पढ़ाना पड़ता है और साहित्य से व्याकरण की व्याख्या भी करनी पड़ती है। इसलिए प्रारम्भिक स्तर में व्याकरण की आवश्यकता इतनी नहीं होती है कि जिससे प्रारम्भिक छात्रों को बहत कठिनाई हो । इसी आधार पर यह प्रवेशिका अत्यन्त संक्षिप्त रूप में लिखी गई है । आशा है इससे प्राकृत भाषा का ज्ञान करने में सहयोग मिलेगा। यह प्रवेशिका वस्तुतः कक्षा में विद्यार्थियों की सुविधा के लिए तैयार कर वितरित किए गए अध्यायों का संकलन है । यह ज्ञान हर विद्यार्थी को भविष्य में प्राकृत भाषा पढ़ने हेतु सुविधा देगा। For Private and Personal Use Only

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