Book Title: Prakrit Vyakaran Praveshika
Author(s): Satyaranjan Banerjee
Publisher: Jain Bhavan

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १० www.kobatirth.org प्राकृत व्याकरण प्रवेशिका Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुस्वार प्राकृत ' में शब्द के अन्त का "म्" अनुस्वार होता है अर्थात् सर्वम् प्रा. सव्वं होता है | चाहे वाक्य के अन्त में और पद के प्रथम चरण के अन्त में “म्” के स्थान पर केवल अनुस्वार ही होता है । किन्तु म् के बाद जब स्वर वर्ण होता है तब म् उसी वर्ण स्वर के साथ जुड़ जाता है । परन्तु यहां पर भी अनुस्वार हो सकता है अर्थात् “म्" के स्थान पर अनुस्वार भी होता है, इसका अर्थ म् के बाद प्राकृत में दो तरह का रूप होता है । १. “म्” के स्थान पर चाहे स्वर वर्ण और व्यंजन वर्ण हो अनुस्वार ही होता है । जैसे कि सव्वं अहं करेमि अर्थात् सव्वं के बाद यद्यपि अहम् शब्द है तब भी सव्वं अनुस्वार होगा । २. कभी कभी “म्” के बाद अगर स्वर वर्ण हो तो ओ " म्" स्वर के साथ जुड़ जाता हैं । अर्थात् सव्वं " म्” अहं करेमि इसका रूप प्राकृत में सव्वमहं करेमि हो सकता है । ३. वर्ग का जो पंचम नासिक्य वर्ण होता है उसके स्थान पर भी अनुस्वार होता है अर्थात् शब्द के बीच में जब वर्गीय नासिक्य वर्ण होता है तब उसके स्थान पर भी अनुस्वार होता है । वर्गीय पंचम नासिक्य वर्ण ये है- ङ्, ञ, ण्, न्, म् । यथा पंक, संख, अंगण लंघण, कंचए, लंहण, अंजीऐ, कंटओ, उक्कंठा, कंड, संढो, अंतरं, पंथो, चंदो, बंधवो, कंपइ, वंफइ कलंबो, आरंभो इत्यादि । इन सभी स्थानों पर वर्ग का पंचम नासिक्य वर्ण हो सकता है । अर्थात पङ्क, कञ्चअ, कण्टअ अन्तर सम्पर इत्यादि । प्राकृत व्याकरणों ने वर्गीय नासिक्य वर्ग के विषय में विकल्प विधि दी है । अर्थात् दो तरह का वर्ण हम लोगों के समक्ष उपस्थित होता है, तब भी यही मालूम होता है कि प्राकृत में केवल अनुस्वार होना ही अच्छा है । वस्तुतः यही है कि जहां वर्गीय नासिक्य वर्ण होता है वहां हम लोग ऐसा समझेंगे कि उस वर्णन पर संस्कृत का प्रभाव ज्यादा है । इसलिए पङ्क, कञ्चअ, कण्ठअ, अन्तर सम्पर प्राकृत में आ गए। लेकिन वास्तव में इन सभी के स्थानों पर केवल अनुस्वार ही होना चाहिए । 7 कुछ शब्द ऐसे हैं जिसके साथ अनस्वार होने के बाद दीर्घ स्वर वर्ण का ह्रस्व हो जाता है । जैसे कि माला - मालं, नई-नई बहू - बहुं, इत्यादि । अनुस्वार के विषय में केवल इतना ही समझना उचित है कि वर्गीय पंचम नासिक्य वर्ण और म् के बाद सभी जगह पर अनुस्वार होना ही ठीक है । For Private and Personal Use Only

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