Book Title: Prakrit Vyakaran Praveshika
Author(s): Satyaranjan Banerjee
Publisher: Jain Bhavan

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir य-श्रुति १५ होता है तब लोप के स्थान पर जो स्वर है उस स्वर का अवस्थान होता हैं । अर्थात् रह जाता है । जैसे काक अर्थात् क् + आ + क् + अ इस शब्द में जो द्वितीय क् है वह अनादि क् है । इसलिए वह अनादि क् प्राकृत में लोप हो जाएगा । लोप होने के बाद जो स्वर है अर्थात् यहां अ है वह रह जाएगा। यही नियम साधारणतया सभी जगह प्राकृत में है। कौन से अनादि वर्ण का लोप होता है प्राकृत में इसके बारे में हेमचन्द्र के व्याकरण के अनुसार सब अनादि क, ग, च, ज, त, द, प, य, व, (कग-च-ज-त-द-प-य-वां प्रायो लक् १.१७७) अर्थात् इस वर्ण का लोप होता है । यथा- काक-काअ, तीर्थकर-तीत्थअर, लोक-लोअ, नग-णअ, नगर-णअर, काचगृह-काअग्गह, गज-गय, वितान-विआण, यदि-जइ, मदन-मअण, रिपरिउ, दयालु-दआलु, विबुध-विउह इत्यादि । जब अनादि क, ग, च, ज इत्यादि लोप होते हैं तब जिस स्वर का अवस्थान होता है वही स्वर रह जायेगा । किन्त हेमचन्द्र ने बताया कि जब अ और आ के बाद जब अ रहेगा तब अ का उच्चारण य के जैसा होगा । अर्थात् उपर्यक्त उदाहरण ऐसा भी हो सकता है । यथा- काय, तित्थयर, लोय, णय, णयर, कायग्गह, गय, वियाण, मयण इत्यादि । ___इकारान्त और उकारान्त शब्द के स्थान पर अ है तो वही अ य नहीं लिखा जाता है । यद्यपि कभी-कभी इकारान्त और उकारान्त शब्द के स्थान पर भी य आता है, वह य विकल्प रूप से कोई-कोई पण्डित लोग मान लेते हैं । वस्ततः इकारान्त और उकारान्त शब्द के साथ य होना नहीं चाहिए। अगर होता है तो विशेष विधि से मान लेते हैं । सब ही प्राकृत व्याकरण के स्थान पर य-श्रुति मानी नहीं जाती है । अतः य-श्रति हम लोग जो देखते हैं वह मख्यतः अर्धमागधी भाषा में होती है । अर्थात् वही भाषा में नअर जब लिखते हैं वही नअर अर्धमागधी में नयर रूप से होता है । इसका तात्पर्य यही है य लिखना श्रति का कारण है अर्थात् अ और आ के बाद हम लोग जब पढ़ते हैं और बोलते हैं तब य की भाँति एक ध्वनि आ जाती है । उसी को ही हम लोग य-श्रुति कहते हैं । मुख्यतः य-श्रुति लिखने की नहीं है सुनने की है । हम यही तो सुनते है । वही जब लिखते हैं तब य देकर के लिखते हैं । अर्धमागधी में इसलिए इस श्रति का प्रभाव ज्यादा से ज्यादा होता है। For Private and Personal Use Only

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