Book Title: Prakrit Vidya 2001 07
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 36
________________ में मिलते हैं। जैन-पुराणों का अध्ययन तो मेरा कम ही है, इसलिये उनके प्रमाण खोजना तो मेरे लिए इस समय कठिन है, किन्तु वैदिक-पुराणों में सम्बन्धित कुछ तथ्यों के उल्लेख मिलते हैं, उन्हें यहाँ प्रस्तुत करना अपना कर्त्तव्य समझता हूँ। 'श्रीमद्भागवत्' में कहा है कि महायोगी भरत, ऋषभ के सौ पुत्रों में से ज्येष्ठ एवं श्रेष्ठ थे और उन्हीं के नाम से यह देश 'भारतवर्ष' कहलाया येषां खलु महायोगी भरतो ज्येष्ठः श्रेष्ठगुण आसीत् । येनेदं वर्ष भारतमिति व्यपदिशन्ति ।। -(श्रीमद्भागवत्, 5/4/9) 'श्रीमद्भागवत' में एक और महत्त्वपूर्ण तथ्य इसप्रकार उल्लिखित है तेषां वै भरतो ज्येष्ठो नारायणपरायणः । विख्यातवर्षमेतद् यन्नाम्ना भारतमद्भुतम् ।। -(11/2/17) 'अग्निपुराण' (10/10-11) में कहा है जरामृत्युभयं नास्ति धर्माधर्मी युगादिकम्, नाधर्म मध्यमं तुल्या हिमदेशात्तु नाभित: । ऋषभो मरुदेव्यां च ऋषभाद् भरतोऽभवत् ।। ऋषभोऽदात् श्रीपुत्रे शाल्यग्रामे हरिं गतः । भरताद् भारतं वर्ष भरतात् सुगतिस्त्वभूत् ।। 'मार्केण्डयपुराण' (50/39-42) में कहा है— “स्वाम्भुव मनु के पुत्र आग्र्नीध्र आग्नीध्र के पुत्र नाभि, नाभि के पुत्र ऋषभ और ऋषभ के पुत्र भरत थे, जिनके नाम पर इस देश का नामकरण 'भारतवर्ष' हुआ आग्नीधसूनो भेस्तु ऋषभोऽभूत् द्विजः । ऋषभाद् भरतो जज्ञे वीर: पुत्रशताद् वरः ।। सोऽभिषिञ्च्यर्षभ: पुत्रं महाप्राव्राज्यमास्थित: । तपस्तेपे महाभाग: पुलहाश्रम-संश्रयः।। हिमालं दक्षिणं वर्ष भरताय पिता ददौ। तस्मात्तु भारतं वर्षं तस्य नाम्ना महात्मनः ।। इसीतरह के अनेक प्रमाण 'ब्रह्माण्डपुराण' (पूर्व 2/14), 'वायुपुराण' (पूर्वार्ध 30/5053), 'नारदपुराण' (पूर्वखण्ड 48/5-6), 'लिंगपुराण' (57/98-23), शिवपुराण' (37/57), 'मत्स्यपुराण' (114/5-6) —इन पुराणों में द्रष्टव्य होने से महत्त्वपूर्ण हैं । अन्वेषण करने पर और भी इसके प्रमाण मिल सकते हैं। इसीप्रकार स्कन्धपुराण' के माहेश्वर-खण्डस्थ 'कौमाराखण्ड' (37/57) में भी कहा है नाभे: पुत्रश्च ऋषभ: ऋषभाद् भरतोऽभवत् । तस्य नाम्ना त्विदं वर्षं भारतं चेति कीर्त्यते।। 00 34 प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '2001

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