Book Title: Prakrit Vidya 2001 07
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 82
________________ शामिल होंगे। इनमें रिचर्ड गेयर, डेमी मूर, फैशन डिजाइनर स्टेला मैक कार्टने, पॉप सिंगर ब्रायन एड्म्स और 59 वर्षीय पूर्व-बीटल-गायक पॉल मैक कार्टन जैसे नाम भी शामिल हैं। ये सभी हस्तियाँ अपने शाकाहार-प्रेम के लिए जानी जाती हैं। मैक कार्टन ने पिछले दिनों कहा था कि “शाकाहार के कारण ही मैं इस उम्र में भी विश्व-भ्रमण करने जा रहा हूँ, जब लोग रिटायर होने की तैयारी करने लगते हैं।" -(साभार उद्धृत -- नवभारत टाइम्स से) अध्ययन-विधि "ततोऽस्य पञ्चमे वर्षे प्रथमतरदर्शने। ज्ञेय: क्रियाविधिर्नाम्ना लिपिसंख्यानसंग्रहः ।। यथाविभवमत्रापि ज्ञेय: पूजापरिच्छदः । उपाध्यायपदे चास्य मतोऽधीती गृहव्रती।। -आचार्य जिनसेन, आदिपुराण, 38/248) अर्थ :- तदनन्द पाँचवें वर्ष में कोमलमति बालक को सर्वप्रथम अक्षरों का दर्शन कराने के लिए लिपि 'संख्यान' नाम की क्रिया की विधि की जाती है। ___ इस क्रिया में भी अपने वैभव के अनुसार सरस्वती पूजा आदि की सामग्री जुटानी चाहिये और अध्ययन करने में कुशल चारित्रवान् गृहस्थाचार्य को ही उस बालक के उपाध्याय (अध्यापक) के पद पर नियुक्त करना चाहिये। ** 'प्राप्ते तु पञ्चमे वर्षे विद्यारम्भं च कारयेत् इति, स वृत्तचूलश्चलकाकपक्षकैरमात्यपुत्रैः सवयोभिरन्वित:। लिपेर्यथावद्ग्रहणेन वाङ्मये नदीमुखेनेव समुद्रमाविशत् ।। -(रघुवंश, 3/28) महाराज अयोध्यापति दिलीप ने अपने आत्मज कुमार रघु का यथाविधि चूडाकर्म (गर्भकेश-मुण्डन) संस्कार किया। वह कुमार शिर पर नये निकले मसृणमदुर श्यामकेशों से (जिन्हें कौवे के पंखों जैसा कृष्ण होने से काकपक्ष कहते हैं) शोभायमान अपने समान तुल्य रूप-वय: मंत्रिपुत्रों के साथ गुरुकुल में जाने लगा। वहाँ उसने स्वरव्यञ्जनात्मिका लिपि का ज्ञान प्राप्त किया, जिससे उसे शब्द-वाक्यादिरूप आरम्भिक वाङ्मय में प्रवेश करना उसीप्रकार सरल हो गया, जैसे नदी में बहकर आनेवाले किसी मकरादि जलचर पशु को समुद्र-प्रवेश सुलभ हो जाता है। ** 0080 प्राकृतविद्या+ जुलाई-सितम्बर '2001

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