________________
अवधि/मर्यादा अनन्त है, ऐसे ज्ञान के धारक जिनेन्द्र भगवंत' – ऐसा अर्थ लेना चाहिये।)
णमो कोट्ठबुद्धीणं ।। 6।।। अर्थ:-'कोष्ठबुद्धि' (नामक ऋद्धि) के धारक जिनेन्द्र भगवन्तों को नमस्कार है।
णमो बीजबुद्धीणं ।। 7।। अर्थ:-'बीजबुद्धि' (एक बीजपद से अनेक पदार्थों के ज्ञान में समर्थ) के धारक जिनेन्द्र भगवन्तों को नमस्कार है।
णमो पादाणुसारीणं ।। 8।। अर्थ:-‘पदानुसारी' (एक पद के अर्थ को सुनकर पूरे ग्रन्थ के अर्थ को समझ लेना) ऋद्धि के धारी जिनेन्द्रों को नमस्कार है।
णमो संभिण्णसोदराणं ।। 9।। अर्थ:-'संभिन्न-श्रोतृत्व' (सभी शब्दों को एक काल में सुन सकना) ऋद्धि के धारी जिनेन्द्रों को नमस्कार है।
णमो सयंबुद्धाणं ।। 10।। अर्थ:—स्वयंबुद्ध (जो स्वयं ही वैराग्य लें) जिनेन्द्रों को नमस्कार है।
णमो पत्तेयबुद्धाणं ।। 11।। अर्थ:—प्रत्येक बुद्ध (जो वैराग्यकारण देखकर विरक्त हों) जिनेन्द्रों को नमस्कार है।
णमो बोहिदबुद्धाणं ।। 12।। अर्थ:-बोधितबुद्ध (दूसरों के एक बार समझाने मात्र से समझ जाने वाले) जिनेन्द्रों को नमस्कार है।
णमो रिजुमदीणं ।। 13।। अर्थ: ऋतुमति मन:पर्यायज्ञान के धारी जिनेन्द्रों को नमस्कार है।
णमो विवुलमदीणं ।। 14।। अर्थ:-विपुलमति-मन:पर्ययज्ञान के धारक जिनेन्द्रों को नमस्कार है।
णमो दसपुवीणं ।। 15।। अर्थ:—दशपूर्वज्ञान के धारक जिनेन्द्रों को नमस्कार है।
णमो चोद्दसपुवीणं ।। 16।। . अर्थ:-चौदहपूर्वज्ञान के धारक जिनेन्द्रों को नमस्कार है।
___णमो अलैंग-महाणिमित्त-कुसलाणं ।। 17 ।। अर्थ:—अष्टांग महानिमित्त-विद्या में प्रवीण जिनेन्द्रों के लिए नमस्कार है।
___ णमो विवुलरिद्धिपत्ताणं ।। 18।। अर्थ:-विपुल ऋद्धिप्राप्त जिनेन्द्रों के लिए नमस्कार है।
णमो विज्जाहरणं ।। 19।। अर्थ:-विद्या (तपोविद्या) के धारी जिनेन्द्रों के लिए नमस्कार है।
प्राकृतविद्या+अक्तूबर-दिसम्बर'98
0075