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4. वर्ष 1999 से वर्ष 2001 तक सम्पूर्ण उड़ीसा प्रान्त में सम्राट् खारवेल की पावन-स्मृति
में बीस हजार नलकूप लगाये जायेंगे, ताकि राज्य की पेयजल समस्या का निदान हो सके।
इनके अतिरिक्त दिग्विजयी कलिंगाधिपति सम्राट् खारवेल की यशोगाथा को चिरस्थायी एवं सर्वजनविदित बनाने के लिए भी अनेकों यशस्वी कार्यों का प्रवर्तन किया जायेगा। इस बारे में उच्चस्तरीय विचार-विमर्श अभी चल रहा है।
प्राथमिक कार्य के रूप में मंगलाचरणवत् ‘सम्राट् खारवेल-विषयक राष्ट्रिय संगोष्ठी' भुवनेश्वर में दिनांक 16-17-18 जनवरी 99 को आयोजित होने जा रही हैं; जो कि उड़ीसा सरकार के सूचना मंत्रालय एवं ऋषभदेव होने जा रही है; जो कि उड़ीसा सरकार के सूचना मंत्रालय एवं ऋषभदेव प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित है।
–महावीर शास्त्री **
ब्र० कमलाबाईजी (श्री महावीरजी) को साक्षरता पुरस्कार दिनांक 9 दिसम्बर 1998 को कलकत्ता के साइन्स सिटी सभागार में ब्र० कमलाबाईजी (श्री महावीरजी) को बंगाल के राज्यपाल महामहिम ए०आर० किदवई द्वारा रोटरी इन्टरनेशनल' के रोटरी इण्डिया साक्षरता अवार्ड 1998' से सम्मानित किया गया। राज्यपाल महोदय ने ब्र० कमलाबाईजी को शॉल, मेमेंटो और 2 लाख रुपयों का चैक भेंट किया।
इस अवसर पर रोटरी इन्टरनेशनल प्रेसिडेन्ट एलेक्ट श्री कारलो रविज्जा, इटली और पास्ट प्रेसिडेन्ट रोटरी इन्टरनेशनल श्री लुइस विसेन्टे गिये, अर्जन्टाइना, रोटरी अवार्डस फोर सर्विस टू हूमेनिटी (इन्डिया) ट्रस्ट के चेयरमेन राजेन्द्र के० साबू विशेषरूप से उपस्थित थे। महामहिम राज्यपाल ने सम्बोधित करते हुए कहा कि “सेलेक्सन कमेटी ने एक हीरे को खोज निकाला है और ये पुरस्कार की सही हकदार हैं।" इनके द्वारा किये कार्यों की राज्यपाल महोदय ने भूरि-भूरि प्रशंसा की। श्री कारलो रविज्जा, इटली, प्रेसिडेन्ट इलेक्ट, रोटरी इन्टरनेशनल ने कहा कि “महिलाओं को साक्षर बनाने से पूरा परिवार और जाने वाली पीढ़ियाँ भी साक्षर हो जाती हैं।"
श्री लुइस विसेन्टे गिया, अर्जेन्टाइना, पास्ट प्रेसिडेन्ट रोटरी इन्टरनेशनल ने श्रोताओं का ध्यान आकृष्ट करते हुए बताया कि इतनी विषम परिस्थितियों में जनजातियाँ और पिछड़ी जातियों की बालिकाओं को साक्षर बनाने का कार्य किया है, वह अपने आप में अभूतपूर्व है।
श्री ओ०पी० वैश्य ने ब्र० कमलाबाईजी की पूरी जीवनी पर प्रकाश डाला। इस समारोह में रोटरी इन्टरनेशनल के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रोटेरियन्स और जैनसमाज के अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर'98