Book Title: Prakrit Pandulipi Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 16
________________ हवदिवार हा दिमती र स एतवा एंवेदनश्रभित्तेल ||चादभिहिलाहिदा थप भरहों देविंद याडिहे श्यते। जा होग धराया। शाही श्राय धुरतरमा महिदविदले साल शंसारसारखयकरं मामोचीने एमो का रंग अरहंतमहारोएछ। विहेवको भर (एएकाले सोजिराचयोदि हो संसारखे स मजेत्रावतभोकारेशदिशासभरणा एञ्चराऊतेहों तिस्माचाशंसा गंगा से मालायगोजतरो तिरमा माछा भरत चराएं!! श्राराधmपडाएंगे एतस्म करोपमो कामल रसधपड़ा यजदहचे धेनुका भस्स! पन्त्रणाली विथंगामाच्या राष्धिता मदोश मो कार चंपारा मेडिकल आदाय तोय सामही 11911 मेोका लोभ गर Jain Education International प्राकृत- पाण्डुलिपि चयनिका For Private & Personal Use Only (३) www.jainelibrary.org

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