Book Title: Prakrit Pandulipi Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 50
________________ य्यु २५ वनातन्तबुनके मणिमय ग थनीवरसपूतानाहा . करा सबितानेहमयाकस्सा जनसलदाय . कारिगरपामणिमययंचहिनि तलिमाकेलिरवा । जिलं . . . बक्रस्चनाईविधिनान करा शो-तता गोयमावलिकरा शो लमजहबऊनतितितिचितिंमागचरवसदोहकरसाही जायमानजे वनजणय 25 विठवननालोकचिननेउजाउकार एकवचयनजो अतिश्रा बोकफेदृष्दिन २एममवलोकरीसुलवण्सुनणचिवद्यकरमा श्रया पन्नतो ऊमरप्रकावंतवालागी .. २० उजाला कायम विस्यमावन्नी ऊमरोइसचिंतिलगो॥२७किंदजालमे घमोवनदेईलु अथका मात्रा नगरायका एरंजवनमा का सुमिण सुसमिदासशएर अहयंनि अनयरी हलवणे प्राकृत-पाण्डुलिपि चयनिका (३७) Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

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