Book Title: Prakrit Pandulipi Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 59
________________ मुण्मयानामापतिमा ननाद परि२५ rautam माणिक्य, विनमकरें। भनियकारmamro माामानादो०३०५० मा०मामाचशष्ट्यकाक्रोधा २२० नबोले।। दिकालमा मंपरिदमिरकानयवहारिणिवानासादोसंपरिहामायेचारासमाuanarajil प्रत्ययको निर्ययोजनाविनायो । प्राणायाने आवा० निनायविनानिरर्थक मनो। मात्रय लीगमापरजीवोमर्मी यापपरकालान कार्य करने परमीमनिलालर हारन जोसाailaनिरस्तममममममाएकापरावाजयस्सरणवRAIRA मनानाधिों मंतिघरक्निकंकले एएकलोमाकाएक नेवारतलान २६ बोलाईनही १५ HAPापनेविषय मेधिनविय ROMAsa लोमा मेमुक रिसारकासंधामुयमहापहोशिलिएमफिनिधिनसंलक्षजेमे || digoगुFory मा०मक मतवनकशीवाय ममारेलामाको १०ादरपरयकोपनि० । दिवाला फकठिनबचकरी पे०एस्वामिश्कीनामा प्रभाकर बुमामासंनियमीफससेवा ममलानोतिपहाणपममतपमिस्स! समानामोशमा भूमोकाइएलायमापनीको• हिहितकाशितगुरुनी वेण्याहव्यामSIMRIOR तयाविनामापाकी नेलेमापनदिनीताची प्रेरक सापामामा काविनामूर्षमीषदेता ll सामोवायांकमस्सयचोयगहिवंतमन्नफ्लोविसंहोस्लामाकोश प्राकृत पाण्डुलिपि चयनिका (४६) in Education Intematon For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

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