Book Title: Prakrit Pandulipi Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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पाठ १२ उत्तराध्ययन
सुयं मे आउसं तेणं। भगवया एवमक्खायं। इह खलु वावीसं परीसहा। समणेण। भगवया। महावीरेणं। कासवेणं पवेइया। जे भिक्खु सोच्चा। नच्चा। जिच्चा। अभिभूय। भिक्खायरियाए। परिव्वयंतो। पुट्ठो नो विहन्नेज्जा॥
कयरे खल। ते वावीसं परीसहा। समणेणं भगवया महावीरेणं। कासवेणं पवेइया। जे भिक्खु। सोच्चा। नच्चा। जिच्चा। अभिभूय॥ भिक्खायरियाए। परिव्वयंतो। पुट्ठो नो विहन्नेजा।
इमे खलु ते वावीसं परीसहा। समणेणं भगवया। महावीरेणं । कासवेणं पवेइया। जे भिक्खू। सोच्चा। नच्चा। अभिभूय। भिक्खायरियाए। परिव्वयन्तो। पुट्ठो नो विहन्नेज्जा। तज्जहा। दिगंछा परीसहे। पिवासा परिसहे। सीय परीसहे। उसिण परीसहे। दंसमसय परीसहे। अचेल परिसहे। अरइ परीसहे। इत्थी परीसहे। चरिया परिसहे। निसीहिया परीसहे। सिज्जा परीसहे। अकोस परीसहे। वह परीसहे। जायणा परीसहे। अलाभ परिसहे। रोग परीसहे। तण फास परीसहे। जल्ल परिसहे। सक्कार पुक्कार परीसहे। पन्ना परीसहे। अन्नाण परीसहे। दंसण परीसहे। परीसहाणं पविभत्ती। कासवेणं पवेइया। तं भे उदाहरिस्सामि। आणुपुव्विं सुणेह मे ॥१॥ दिगिछा परिगए देहे। तवेसी भिक्खू थामवं। न छिदे न छिंदावए। न पए, न पयावए॥२॥ काली पव्वंग संकासे। किसे धमणि संतए। मायन्ने असण पाणस्स। अदिण मणसो चरें॥३॥ एवमावट्ट जोणीसु। पाणिणो कम्मकिब्बिसा। न नविजंति संसारे। सव्वढेसु व्व खत्तिया॥४॥ कम्म संगेहि संमूढा। दुखिया वहु वेयणा। अमाणुसासु जोणीसु। विणीहम्मति पाणिणो ॥५॥ कम्माणं तु पहाणाए। आणुप्व्वी कयाइ उ। जीवा सोहिमणुपत्ता। आययंति मणुस्सयं ॥६॥ माणुस्सं विगहं लुग्धं। सुइ धम्मस्स दुल्लहा। जं सोच्चा पडिवजंति। तव खंतिमहिंसयं ॥७॥ आहच्च सवणं लुधं । सद्धा परमदुल्लहा। सोच्चा नेयाउयं मग्गं। वहबे परिभवस्सइ ॥८॥
प्राकृत-पाण्डुलिपि चयनिका
(८०)
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