Book Title: Prakrit Pandulipi Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 63
________________ किरीकमा एरापमा पश्मिएकर पाजीवप्रा करी नविरकतावासास संश्मनोमपामा निीिराजाजायज्याजना मानविषा नानिमामाविस्ता राजमानहजाणाम मापालिगोकम्मकिविमाननविज्ञतिसंसागसबमवरकलिया वन निबंधसं घायकोरायणाचार मनुमनायोनिविनानोरनिर विसिषer पाम अतिशमुटषनाव सरारकिदवानोगत पर पादेयतारिकमायोननश्वष. लर प्राणमधom पाकिस्मगहिसंमूटा रिक्याचवेयानमाणसासजोगाविसहमतिमारणे H मनुशातिनमाधान अथिमादिकारलार माजावयोशाकर्मनो आपपोतरम कारिकर्मनिराकर अनुमक कहाधिनकिवाद विश्वपापोमपामतिनाव ... मापती कमण्डपाणुयुधयानवामोहिमणुपताश्रभ्यमंतिमणुस्सा मासंबंधामोविदा समालोम धर्ममोमलान नपाएमया avi रिकमाas., नो ५०पनि माणुसंविगल्लुग्धांमधम्ममालमोनामिकताम्वतिमहिमायोडा कवि मसाजतलासमपर्म मोसोलन मयमा घणमालाप्रमुपश्चा - पान मारुविकसि.yलनसम्पलारिमाका इबसवणं सहायरमखमासीबानयाभर । प्राकृत-पाण्डुलिपि चयनिका (५०) Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

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