Book Title: Prakrit Pandulipi Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 64
________________ पाठ १३ उत्तराध्ययन लिग्राणानाधानकरणमा मामायावंतयि चार3 नोवतीयकोत छपातम माम मे यमुना मेमघारिक र रवातानुभवादमाफर्त, जोगाए महिवालमुसाबाशीमाइनेपिसणे सियथतिमा कामयाकरिमयाथानापश्येच विविनितवननविषनिग विकाराषमा मिनालs निHABHINE | करकापसापोताना गुपकहिच मा .स्त्रीनविच कर्मरूपायामल चरक कथाउपरिपामारामारडीनिजी करान-मालेमदांच रकर कप... समकारकर्मनाया कायमाबसामित्ताविनेशियाछियानमालविणसिमानामुमक्ष्यि 1. तारकाविधानियारपुः मिशायाम्पोथगिलोm पतिहीवारतो. कफर्ममा देषाहारनकस पाकौलारेगार नापस० षट्पान परलोकया जोमानापमा Managोनायकेवागिरलागोपvिarasपरमाणुमहिलामा anm397 | समाजाभिमानरमीकि नास्तिजावनि ना ना मानानात समता १.अतिहासातटालाना | वेदना नास्थानिकाम सयामनराकारणासीलाणचजागामालाएकरकम्मायशादजवयman Maaनविषपानी जेनिमनिममे मSA कोतेपकिरीनना गतिलायसो तिनाकामारकर्मकरणहरप.मराणकan.in नुजा .. मलंग महानिरिककर्मीकरिभानप यानाकारको जयपहात दत्तमशास्सयाआहारहिगछनोमोयलापरितम्यगा। निकमा समाससम्मापावाटिकरहित विपामरिकमाहिमामानि माकरीभापजिमविकाससम्म Homलहसमान समाज जापानमो.रूपमकिक जहासडिजागसमहिजामहापाविसमा निकालिनेपिएसनिलीat:३ N प्राकृत-पाण्डुलिपि चयनिका Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96