Book Title: Prakrit Pandulipi Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 51
________________ . न . - राप्रकारेपवतामयी व्यफल अमलने कोमलमधानेचिन बेसामी कणाणानासदेहाकलिमंजमरविनिवेसिकएपलक वित्तरी कसरप्रसोचोलीमि हेस्वार्थतनीस्बुि ऊकळते २२ जमाहरी-माजमें || न्: उसाल.. विन्नच्चतरखा सामिवयनिसमिसुधरणामधमएमसी दिवसेस्चामाीगण्मादिनपनो. तेमाटेमाइनेषुष्याटीके अपतसर्गनिय ए चिरेणकानिएनाहदिवासि सरनिवणेसुरलुवणे निक। होस्हवालवचनने वि30- आजना श्वेताहरमननामना रुपकरन्यपादपजेकल्परची पिलावीबु र . आनिसिङमंगवण) अद्यचिअमनमणी मणारहोकप्पपाचवी नया के जेदानादी करूमा सन्नादि आजहे खामोदरमुर मनोमय उस एप्रकारे|| कनाअनुजावधी मधु .... ||फलि जसुकसुकयवसः अनर्ममामिलिनसिगराइव] प्राकृत-पाण्डुलिपि चयनिका (३८) Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

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