Book Title: Prakrit Pandulipi Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 54
________________ | उनक कानेसनलिसावधानमनरारचमारोते नीदेवीहरीगामकेवला केवलीनेक्च| - उलकमरनेव्यतरनिकाय -कहां करीना|| वहिंसावहाणामणे मारी सोपती अवह खिवैरिएआधातिवलि जाल्याराणी वायपाम्पांचनेविष विस्मं कहवाश्याहस्वामानह मनलेवादिक एबेअती. याकरलथयां तरतिवेदे तेदेवता अपवित्रतरने वयणी अश्वबरिअविमिआजाया साहं तिकर्हदेवामपवित्रनल मनग्या घरजकारणमासिका चारशेअथवापांच सेंयोजनपचंत उचोप्राकानीमा तमांका .अकाअनुष्पलोकन धजाबनें || वहरीतिशायहक्तमोगमाचा रिपंचजायण सयारण्योलमअली|| गंधदेवातादेवायोनेसह देवतदिबीयो आमनुथलो ४२ एलुरुकमंतारे केवल - ईमाईकमीश्रावतानी ज्ञानीबोलताहवा |गस्सनवचजण नदेवतियात्राशिकचनिनाशनशि पंचकरपक चवनरजन्म तनाही यतिवातोमत्यलोकेंवें बलामहपिता ज्ञा केवल विवणिपए अरिहं तपनेमहिमायत्रीवेंचलीजमांतरवाश्लेहणका ये पंचसूजिगनासचिव महरिसितवाणुनावा जमतिरऐहिण्या . .. प्राकृत-पाण्डुलिपि चयनिका (४१) Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96