Book Title: Prakrit Pandulipi Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 45
________________ अगवान श्रीमहावीरस्वामीजनित्रापबार, भादरेकर, संवनेश्रावते, करीनई मस्कारका | मन - अक्षणकरें नगर्वमहावीरतिरकतो अथाहितीपयहिणं रेकरिता वंदम वाद विवादनिनम एप्रकारेपुरतावा - संपतेकश्वर हैचगवनकर किम्त . वारकरिने कमचित्रबहान सश्वदिता नमसिता एवंवयासी नम्वकोनामकमानतो कहता गरूबा रसायकाजमनिया जिवना यकीन अनलका चुंबर हजर भावती कप्रकाश... हिनता। तएगिहवासवसते नावण नार्वती अपर्णते अपनर निबाधा कमादित्रावर समयबसवि हरिमिनाचे एहवरपक्षनकेवलज्ञानविशेषोपयोगरूपीजप्रक्षन | यं निरावरही कसिएं पमितनं केवलवरनारादसण समुषामित्र SA लापसमा बलंदशनिसामान्योपोगरूपताका | | एगोतमनापूनअन्नत्तर श्रमणतपस्वीश्रीमहावीर एक यो जानिप्रमाणविस्तरोन संघासमतसररवी. .. वनजिते . . हनीपहबनिवली तरसमणनगर्वमहावीर जोयागमिणीय सभासमारी - प्राकृत-पाण्डुलिपि चयनिका (३२) Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96