Book Title: Prakrit Pandulipi Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
View full book text
________________
चएप्रय सघयसमात्न
तगीतमस्वामित्वाने मात्र अतवासीया श्ववंत्री बनानलंगगेत समच्छरससिशशिका वध गर्वतमहावीरना शिप मनामबई एजहनी व नगदमहावीररस जिवे अतवासी गटामती समसप्तरीर को देडजल उज्चन दहले बहनों .
उस रिसहनारायघियणे कुणमनगनिश्सपशेरे उगत्तवे दिसतचे पएकामाविमोटापेना माटी तपस्पाजेह अपरमउपनाब्रह्मचया बलीगोतम्के हवा बायो। जिपीकर असार जीपहनायतम, चावत्कटावन मास एका मद्विात शरतवे घोरतवरसी छोरखच्चरवासी जेब सरीरे सरिव नोटबलपहवातजातिमा वलायतमका वेलीन्सवामीकहवान वानी गितमलामिकवाडेपाच शोरवी जेणें
RAHINESS मुनिसिना सेसाधुनापरिवरसायंचुम्मन्छ ।
बेचदश्वधारच या माने जन" संसाधनापरवरसाथ दिलवेनलेसे चनदसैपची चळवगए पहिणगरसर निविष विहारकरतानई बहनौतपकार पोतानास्मासयमादिकेंना खन्यासनपके श्रीगोनम स्वामा
कई दवाबर विंनतीने हिंसदिसपखिने नहबठएं अप्यानावेमाणे नहारनष्ठिता
प्राकृत-पाण्डुलिपि चयनिका
For Private & Personal use only
www.jainelibrary.org
Jain Education Internation
Page Navigation
1 ... 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96