Book Title: Prakrit Pandulipi Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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पाठ ५
अष्टपाहुड
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'ऊसोमुणेयच्चेोखेडेविकायचे। पाणिपत्त्रं सवेलस्सा | ] | हरिहर जो विपरो! समंग इएइनव कोडी | तदविणपानइ सिद्दिसंसारो गोन लिदो || || क्विदसीदंवरिय
परिकम्माटा गरुदाना राया ओविद२६, सबंद। पावेगञ्चेदिवदिमित्रता तिचे लपाणिपत्र नवइयं परमजिएवरिंदेदि, इकोविमुखमग्नो । ससायञ्च मम या स ॥ १० ॥
ओसंङ्गमेमुसदिउ।ञ्चारंनपरिग्गदेसु विश्ववि। सो दोइवंद णिको ससुरासुरमा एसेले
प्राकृत- पाण्डुलिपि चयनिका
साबर भेंट मिति
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(१७)
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