Book Title: Pooja Sangraha
Author(s): Manikyasinhsuri
Publisher: Hiralal Bhagubhai Shah

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आ चोमासां वच्चेना समयमां चोमासाना स्थळ उपरांत पण अनेक गामोए विहार करता रही अनेक प्रकारे भव्य जीवोने पोताना सत्समागमनो लाभ आपी तेमणे देशनामृत पायुं हतुं. विहार दरमियान श्री सिद्धाचळजी, श्री रैवतगिरिजी, श्री केसरियाजी, श्री तारंगाजी, श्री संखेश्वरजी, श्री भोयणीजी वगेरे अनेक तीर्थोनी अनेकवार यात्राओ करीने ते महानुभाव सुरीश्वरजीए पोताना आत्मानुं कल्याण पण साध्यु हतुं. सं. १९५९ना अपाड सु. १० ना रोज राजनगरमां तेओ श्रीने श्री गणीपद अने सं. १९६० ना महावद ६ना रोज श्री पन्यासपद आपवामां आव्यु हतुं. सं. १९६४ना जेठ व. १२ना रोज नीपाणीमां भव्य महोत्सव साथे तेओश्रीने बृहत्तपागच्छीय श्री चंद्रसिंहसरीश्वरजीना शुभ हस्ते श्री बाचनाचार्यपद आपवामां आव्युं हतुं. ___पूज्यसूरीश्वरजीए सं.१९५१मां राधनपुरना गंभीरने दीक्षा आपी श्री गुणविजयजी नाम आप्यु हतुं. ते पछी सं. १९५३मां माणसामां एक मारवाडी ओसवाळने श्री आनंदविजयजी सं. १९५५मां श्री धर्मविजयजीने सं. १९५८मांसाणंदना गांधी मोहनलाल छगनलालने (श्री मेघविजयजी), सं. १९५९मां सावरकुंडलाना श्री लाभविजयजीने सं. १९९१मां श्री महेन्द्रविजयजीने दीक्षा आपी ज्ञानी शिष्य समृदायथी तेओश्री विभूषित थया हता. आवा समर्थ महात्माओ जगकल्याण अर्थेज आ भूमि उपर For Private And Personal Use Only

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