Book Title: Parmatmaprakash
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal
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- 99 : १–९७ ]
परमप्प-पयासु
88) अप्पा गोरउ किण्डु ण वि अप्पा रत्तु ण होइ ।
अप्पा विलु ण वि जाणिउ जाणें जोइ ॥ ८६ ॥ 89) अप्पा बंभणु वसु ण वि ण वि खत्तिउ ण वि सेसु ।
पुरिस उंसर इत्थि ण वि णाणिउ मुणइ असेसु ॥८७॥ 90) अप्पा बंदउ खवणु ण वि अप्पा गुरउ ण होइ ।
अप्पा लिंगिउ एक्कु ण वि णाणिउ जाणइ जोइ ॥ ८८ ॥ 91) अप्पा गुरु णवि सिस्सु णवि णवि सामिउ णवि भिच्चु । सूरज कायरु होइ गवि गवि उत्तमु वि णिच्चु ॥ ८९ ॥ 92) अप्पा माणुस देउ ण वि अप्पा तिरिउ ण होइ ।
अप्पा णारउ कहिँ वि णवि णाणिउ जाणइ जोइ ॥ ९० ॥ 93 ) अप्पा पंडिउ मुक्खु णवि णवि ईसरु णवि णीसु ।
तरुणउ बूढउ बालु णवि अण्णु वि कम्म-विसे ॥ ९१ ॥ 94) पुण्णु वि पाउ वि कालु णहु धम्माधम्मु विकाउ ।
एक्कु वि अप्पा होइ गवि मेल्लिवि चेयण भाउ ॥९२॥ 95) अप्पा संजम सीलु तउ अप्पा दंसणु णाणु ।
अण्ण
97)
अप्पा सासय- मोक्ख-पउ जाणंतर अध्याणु ॥९३॥ 96 ) अण्णु जि दंसणु अस्थि ण वि अण्णु जि अस्थि ण णाणु । जि चरण अस्थि जिय मेल्लिवि अप्पा जाणु || १४ || अष्णु जि तित्थुम जाहि जिय अण्णु जि गुरुउ म सेवि । अणु जि देउ म चिति तुहुं अप्पा विमलु मुवि ॥ ९५ ॥ 98) अप्पा दंसणु केवलु वि अण्णु सब्बु ववहारु । एक्कु जि जोइय झाइयइ जो तइलोयहँ सारु ॥९६॥ 99) अप्पा झायहि णिम्मलउ कि बहुएँ अणेण । जो झायंत परम-प लब्भइ एक्क-खणेण ॥ ९७ ॥
88) KM गउरउ, अप्पा सुहुमु ण for सुहुमु वि; ABC णाणि for जाणें; Brahmadeva has an additional reading णाणिउ जाणइ जोई in the last pāda 89 ) TK बम्हणु; TKM परिसु ण सण; AC णाण मुणइ. 90 ) TKM बुद्धउ for वंदउ, खमणु, गुरुउ, लिंगउ, सोइ for जोइ. 91 ) T सिस्सि, C सीसु; TM भेडु, K भेउ for होइ. 92 ) TKM कोइ ण वि for देउ etc.; C कह वि for कहि वि; TKM णाणिउ णाणे जोइ as the pāda 93 ) Wanting in TKM; A तरुणउं 94 ) Wanting in TKM; AC facfa. 95) No various readings in Ms., but Brahmadeva notes some alternanative readings: सासय मुक्खपहुं, सासय सुक्खपउ 96 ) TKM मेल्लवि. 97 ) TKM जाइ for जाहि; चितवहि for चिति तुहुं. 98 ) TKM अणु सब्बउ ववहारु; C जोइया 99 ) TKM कि अण्णे बहुएण; A इक्क, TKM एक्कु.
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