Book Title: Parmatmaprakash
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 11
________________ जोइंदु-विरइउ [77:१-७५77) अहँ कम्मह बाहिरउ सयलहँ दोसहँ चत्तु । सण-णाण-चरित्तमउ अप्पा भावि णिरुत्तु ।। ७५ ॥ 78) अप्पि अप्पु मुणंतु जिउ सम्मादिट्टि हवेइ । सम्माइट्ठिउ जीवडउ लहु कम्मइँ मुच्चेइ ॥ ७६ ।। 79) पज्जय-रत्तउ जीवडउ मिच्छादिठ्ठि हवेइ । बंधइ बहु-विह-कम्मडा जे संसारु मेइ ।। ७७ ।। 80) कम्महँ दिढ-घण-चिक्कणइ गरुव समाई। णाण-वियक्खणु जीवडउ उप्पहि पाडहिँ ताई ।। ७८ ॥ 81) जिउ मिच्छत्तें परिणमिउ विवरिउ तच्च मुणेइ । कम्म-विणिम्मिय भावडा ते अप्पाण भइ ॥ ७९ ॥ 82) हउँ गोरउ हउँ सामलउ हउ जि विभिण्णउ वण्णु । हउँ तणु-अंगउ थूलु हउँ एहउँ मूढउ मण्णु ॥ ८० ॥ 83 ) हउँ वरु बंभणु वइसु हउँ हउँ खत्तिउ हउँ सेसु।। पुरिसु णउसउ इत्थि हउ मण्णइ मूढ विसेसु ॥ ८१ ।। 84) तरुणउ बूढउ रूयडउ सूरउ पंडिउ दिन्छु ।। खवणउ बंदउ सेवडउ मूढउ मण्णइ सव्वु ।। ८२ ।। 85) जणणी जणणु वि कंत घर पुत्तु वि मित्तु वि दन्तु । __माया-जालु वि अप्पणउ मूढउ मण्ण इ सव्वु ॥ ८३ ॥ 86) दुक्खहँ कारणि जे विसय ते सुह-हेउ रमेइ । मिच्छाइट्ठिउ जीवडउ इत्थु ण काई करेइ ।। ८४ ।। 87) कालु लहेविणु जोइया जिमु जिम मोहु गलेइ । तिमु तिमु सणु लहइ जिउ णियमे अप्पु मुणेइ ॥ ८५ ॥ ___77) TKM अट्ठहे कम्महे (sometimes हे looks like हि), सयलहि दोसहि, जाणि for भावि. 78) TKM अप्पे, C अप्पई for अप्पि; TKM BC सम्माइट्ठि. TKM कम्महि. 79) KM मिच्छाइट्ठि T'fufco; TM agfafe #FATGT, put t has the same reading as adopted in our Text; for 0 AB जिं, जिणि and TK चिरु. 80) TKM गुरुवइ, BC अप्पहि for उप्पहि; TKM पाडइ ताइ. 81) A0 मिच्छत्ति; TKM परिणमइ; TKM भावाडा. 82) Wanting in TKMB C सावलउ. 83) Wan ting in TKM; A मूढ 84) TKM बुड्ड [६] उ; BCTKM रूवडउ; K खमणउ' ABC खवण; TKM बुद्दउ [बुद्धउ] for वंदउ C मूढ विमण्णइ सव्वु 85) c मायाजाल; KM मूढ विमण्ण इ सव्यु T has a corrupt reading. 86) BC TKM कारण; C विसइ; TKM मिच्छाइट्ठि; TKM एत्थु for इत्त्थु; BC काs for काई. 87)A जिम्व जिम्व C जिम जिम, TKM जेव जेव; for तिमु too ihe readings are similar in these Msa.:A णियमि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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