Book Title: Panchvastukgranth
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 563
________________ CSCORRUGRAMMACROCOCCA बत्तीसंगुलदीहं चउवीसं अंगुलाई दंडो से । सेस दसा पडिपुण्णं रयहरणं होइ माणेणं ॥ ८१४ ॥ आयाणे निक्खेवे ठाणनिसीअणतुअट्टसंकोए । पुविं पमजणट्ठा लिंगट्टा चेव रयहरणं ॥ ८१५॥ चउरंगुलं विहत्थी एअं मुहणंतगस्स उ पमाणं । बीओवि अ आएसो मुहप्पमाणाउ निप्फन्नं ॥ ८१६॥ संपातिमरयरेणूपमजणट्टा वयंति मुहपोती । णासं मुहं च बंधइ तीए वसहीं पमजंतो ॥ ८१७॥ जो मागहओ पत्थो सविसेसयरं तु मत्तगपमाणं । दोसुवि दवग्गहणं वासावासे अ अहिगारो ॥ ८१८॥ सूचोदणस्स भरिओ दुगाउअद्धाणमागओ साहू । भुंजइ एगट्टाणे एअंकिर मत्तगपमाणं ॥ ८१९ ॥ आयरिए अ गिलाणे पाहुणए दुल्लभे असंथरणे । संसत्तभत्तपाणे मत्तयभोगो अणुन्नाओ॥ ८२० ॥ दुगुणो चउरगुणो वा हत्थो चउरस्स चोलपट्टो उ । थेरजुवाणाणऽट्ठा सण्हे थुल्लम्मि अ विभासा ॥ ८२१ ॥ वेउवऽवावडे वाइए अही खद्धपजणणे चेव । तेसिं अणुग्गहट्ठा लिंगुयहा य पट्टो उ ॥ ८२२॥ पत्ताईण पमाणं दुहावि जह वणि तु थेराणं । मोत्तूण चोलपटं तहेव अजाण दट्टत्वं ।। ८२३ ॥ कमढपमाणं उदरप्पमाणओ संजईण विणेअं। सइगहणं पुण तस्सा लहुसगदोसा इमासिं तु॥ ८२४॥ अह उग्गहणंतग णावसंठिअं गुज्झदेसरक्खट्टा । तं पुण सरूवमाणे घणमसिणं देहमासज्ज ॥ ८२५ ।। पट्टोवि होइ तासिं देहपमाणेण चेव विष्णेओ । छायंतोगहणंतग कडिबंधो मल्लकच्छा व ॥ ८२६ ॥ अद्धोरुगोवि ते दोऽवि गिहिउं छायए कडीभागं । जाणुपमाणा चलणी असीविआ लंखिआए व ॥८२७॥ -XKAMACANAS Jan Education in For Private & Personal Use Only X w.jainelibrary.org का

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