Book Title: Panchvastukgranth
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
A
CCORDERGREERS
जं सो उकिट्टयरं अविक्खई वीरिअं इहं णिअमा । णहि पलसयंपि वोढुं असमत्थो पव्वयं वहई ॥१३०४॥ जो बज्झच्चाएणं णो इत्तिरिअंपि णिग्गहं कुणइ । इह अप्पणो सया से सबचाएण कह कुज्जा ? ॥ १३०५ ॥ आरंभच्चाएणं णाणाइगुणेसु वड्डमाणेसु । दवट्ठयहाणीवि हुन होइ दोसाय परिसुद्धा ॥ १३०६॥ एत्तोचिय णिहिट्ठो धम्मम्मि चउबिहम्मिवि कमोऽ। इह दाणसीलतवभावणामए अण्णहाज्जोगा॥१३०७॥ संतं बज्झमणिचं थाणे दाणंपि जो ण विअरेइ । इय खुड्डगो कहं सो सीलं अइदुद्धरं धरइ ? ॥१३०८॥
अस्सीलो अ ण जायइ सुद्धस्स तवस्स हंदि विसओऽवि ।
जहसत्तीऍऽतवस्सी भावइ कह भावणाजालं ? ॥ १३०९॥ इत्थं च दाणधम्मो दवत्थयरूवमो गहेअबो । सेसा उसुपरिसुद्धा आ भावत्थयसरूवा ॥ १३१०॥ इअ आगमजुत्तीहि अतं तं सुत्तमहिगिच धीरेहिं । दश्वत्थयादिरूवं विवेइयत्वं सबुद्धीए ॥ १३११॥ एसेह थयपरिणा समासओ रपिणआ मए तुम्भं । वित्थरओ भावत्थो इमीऍ सुत्ताऔं णायबो ॥१३१२॥ एवंविहमण्णंपि हु सो वक्खाणेइ नवरमायरिओ। णाऊण सीससंपयमुजुत्तो पवयणहिअम्मि ॥ १३१३ ॥ इअ अणुओगाणुण्णा लेसेण णिसिअत्ति इयरा उ । एअस्स चेव कजइ कयाइ अण्णस्स गुणजोगा॥१३१४॥ सुत्तत्थे णिम्माओ पिअदढधम्मोऽणुवत्तणाकुसलो । जाईकुलसंपण्णो गंभीरो लद्धिमंतो अ॥ १३१५॥ संगहुवग्गहनिरओ कयकरणो पवयणाणुरागी अ। एवं विहो उ भणिओगणसामी जिणवरिंदहिं ।।१३१६॥
Jan Education Internal
For Private & Personal Use Only
M
Mw.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634