Book Title: Panchvastukgranth
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
-SACROSAROKAROADCASTLOG*
उउबद्धे वासासु उ सत्त समत्तो तदूणगो इअरो। असमत्ताजायाणं ओहेण ण होइ आहवं ॥ १३३०॥ हवइ समत्ते कप्पे कयम्मि अण्णोऽण्णसंगयाणंपि । गीअजुआणाभवं जहसंगारं दुवेण्हपि ॥१३३१॥ वइणीवि गुणगणेणं जा अहिआ होइ सेसवइणीणं । दिक्खासुआइणा परिणया य जोगा सलद्धीए ॥१३३२॥ केह ण होइ सलद्धी वयणीणं गुरुपरिक्खियं तासिं । जं सबमेव पायं लहुसगदोसा य णिअमेणं ॥१३३३॥ तंचण सिस्सिणिगाओ उचिए विसयम्मि होइ उवलद्धी। कालायरणाहिं तह पत्तंमिण लहुत्तदोसावि ॥१३३४॥ जायसमत्तविभासा बहुतरदोसा इमाण कायबा । सुत्ताणुसारओ खलु अहिगाइ कयं पसंगणं ॥ १३३५॥ | एत्थाऽणुजाणणविही सीसं काऊण वामपासम्मि । देवे वंदेह गुरू सीसो वंदित्तु तो भणइ ॥ १३३६॥ इच्छाकारेणऽम्हं दिसाइ अणुजाणहत्ति आयरिओ। इच्छामोत्ति भणित्ता उस्सरगं कुणइ उ तयत्थं ॥१३३७॥ चउवीसत्थय नवकार पारणं कड्डि थयं ताहे । नवकारपुच्वयं चिअ कड्डेइ अणुण्णणंदित्ति ॥१३३८॥ सीसोऽवि भाविअप्पा सुइ जह वंदिउं पुणो भणइ । इच्छाकारेणऽम्हं दिसाइ अणुजाणह तहेव ॥१३३९॥13 आह गुरू खमासमणाणं हत्थेणिमस्स साहुस्स । अणुजाणिअं दिसाइ सीसो वंदित्तु तो भणइ ॥ १३४० ॥ संदिसह किं भणामो वंदित्तु पवेअहा गुरू भणइ । वंदित्तु पवेअयई भणइ गुरू तत्थ विहिणा उ ॥१३४१॥ वंदित्तु तओ तुम्भं पवेइअं संदिसहत्ति साहणं । पवेएमि भणइ सीसो गुरुराह पवेअय तओ उ ॥१३४२॥ वंदित्तु णमोकारं कहुंतो से गुरुं पयक्खिणइ । सोऽवि अ देवाईणं व वासे दाऊण तो पच्छा ॥ १३४३ ॥
ACKGANGANAGANAGAR
Jan Education Inter
For Private & Personal Use Only
Law.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634