Book Title: Panchvastukgranth
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 573
________________ CALOCALCUMAR ता तस्सेव हिअट्ठा तस्सीसाणमणुमोअगाणं च।तह अप्पणो अ धीरो जोगस्सऽणुजाणई एवं ॥९५०॥ तिहिजोगम्मि पसत्थे गहिए काले निवेइए चेव । ओसरणमह णिसिजारयणं संघट्टणं चेव ॥ ९५१ ॥ तत्तो पवेइआए उवविसइ गुरू उणिअनिसिजाए। पुरओ अ ठाइ सीसो सम्ममहाजायउवकरणो ॥९५२॥ पहिंति तओ पोत्तिं तीए अ ससीसगं पुणो कायं । बारस वंदण संदिस सज्झायं पट्टवामोत्ति ॥९५३ ॥ पट्टवसु अणुण्णाए तत्तो दुअगावि पट्टवेइत्ति । तत्तो गुरू निसीअइ इअरोऽवि णिवेअइ तयंति ॥ ९५४ ॥ तत्तोऽवि दोऽवि विहिणा अणुओगं पट्ठविति उवउत्ता। वंदित्तु तओ सीसोअणुजाणावेइ अणुओगो॥९५५॥ अभिमंतिऊण अक्खे वंदद देवे तओ गुरू विहिणा । ठिअ एव नमोक्कारं कड्डइ नंदिं च संपुन्नं ॥ ९५६॥ इअरोऽवि ठिओ संतो सुणेइ पोत्तीइ ठइअमुहकमलो। संविग्गो उवउत्तो अचंतं सुद्धपरिणामो ॥ ९५७ ॥ तो कड्डिऊण नंदि भणइ गुरू अह इमरस साहुस्स । अणुओगं अणुजाणे खमासमणाण हत्थेणं ॥ ९५८॥ दवगुणपजवेहि अ एस अणुन्नाउ वंदिउं सीसो। संदिसह किं भणामो? इचाइ जहेव सामइए ॥ ९५९ ॥ नवरं सम्मं धारय अन्नेसिं तह पवेअह भणाइ । इच्छामणुसट्ठीए सीसेण कयाइ आयरिओ॥ ९६०॥ तिपयक्खिणीकए तो उवविसए गुरु कए अ उस्सग्गे। सणिसेजत्तिपयक्खिण वंदण सीसस्स वावारो॥९६१॥ उवविसइ गुरुसमीवे सो साहइ तस्स तिन्नि वाराओ। आयरियपरंपरएण आगए तत्थ मंतपए ॥ ९६२॥ | देह तओ मुट्ठीओ अक्खाणं सुरभिगंधसहिआणं। वईतिआओ सोवि अउवउत्तो गिण्हई विहिणा ॥९६३ ॥ C RACTOR- पञ्चव.४७ Jan Education Inter For Private & Personal Use Only R w.jainelibrary.org

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