Book Title: Panchvastukgranth
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 593
________________ SAMROSAROSAROKARMACAUSA एअस्स उ संपाडणहेउं तह हंदि वंदणाएवि । पूअणमाउच्चारणमुववणं होइ जइणोऽवि ॥ १२२०॥ इहरा अणस्थगं तं ण य तयणुच्चारणेण सा भणिआ।ता अभिसंधारणमो संपाडणमिट्टमेअस्स ॥ १२२१ ॥ सक्खा उ कसिणसंजमदवाभावेहिं णो अयं इहो । गम्मइ तंतठिईए भावपहाणा हि मुणउत्ति ॥ १२२२॥ एएहितो अण्णे धम्महिगारीह जे उ तेसिं तु।सक्खं चिअ विष्णेओ भावंगतया जओ भणिओ॥१२२३ ॥ अकसिणपवत्तयाणं विरयाविरयाण एस खलु जुत्तो। संसारपयणुकरणो दवथए कूवदिढतो ॥१२२४॥ सो खलु पुष्फाईओ तत्थुत्तो ण जिणभवणमाईऽवि । आईसद्दा वुत्तो तयभावे कस्स पुप्फाई? ॥ १२२५ ॥ णणु तत्थेव य मुणिणो पुप्फाइनिवारणं फुडं अत्थि। अत्थि तयं सयकरणं पडुच्च णऽणुमोअणाईवि ॥१२२६॥ सुबइ अ वयररिसिणा कारवणंपिहु अणुट्टियमिमस्स । वायगगंथेसु तहा एअगया देसणा चेव ॥ १२२७ ॥ आहेवं हिंसावि हु धम्माय ण दोसयारिणित्ति ठिी एवं च वेअविहिआ णिच्छिजह सेहवामोहो॥१२२८॥ पीडागरत्ति अहसा तुल्लमिणं हंदि अहिंगयातेऽवि।णय पीडाओंअधम्मो णिअमा विजेण वभिचारो॥१२२९॥ अह तेसिं परिणामे सुहं तु तेसिपि सुबई एवं । तज्जणणेऽवि ण धम्मो भणिओ परदारगाईणं ॥ १२३०॥ सिअ तत्थ सुहो भावोतं कुणमाणस्स तुल्लमेअंपि।इअरस्सवि असुहो चिअणेओ इअरं कुणंतस्स ॥१२३१॥ एगिदिआइ अह ते इअरे थोवत्ति ता किमेएणं? | धम्मत्थं सच्चिअ वयणा एसा ण दुट्टत्ति ॥ १२३२॥ एअंपि न जुत्तिखम ण वयणमित्ताउ होइ एवमि। संसारमोअगाणवि धम्मादोसप्पसंगाओ॥१२३३॥ AGRICAGAURUSACOCALMAN Jain Education in For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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