Book Title: Panchbhashi Pushpmala Hindi
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 12
________________ पंचभाषी पुष्पमाला १० पुरोवचन परम विदुषी पू. साध्वीश्री भावप्रभाश्रीजी द्वारा परम कृपालु देव श्रीमद् राजचन्द्रजी की बाल्यावस्था की अनुपमकृति “पुष्पमाला'' का बहुमूल्य विवेचन "पुष्पमाळा - एक परिचर्यन' शीर्षक लघु पुस्तिका में किया गया है। उस का हिन्दी अनुवाद भी इस "पंचभाषी पुष्पमाला'' के विस्तृत ग्रंथ में समाविष्ट किया जा रहा है। निश्चय ही "पंचभाषी पुष्पमाला'' मुमुक्षु जगत् के लिए अत्यंत ही उपयोगी और उपकारक प्रकाशन बना रहेगा इस में कोई संदेह नहीं धर्म यह तो जीवन जीने की कला है। ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चरित्राचार, वीर्याचार और तपाचार इस प्रकार पंचाचार रूप जैनधर्म का स्वरूप है। इन सभी में “आचार'' यह महत्त्व का शब्द है। तीर्थंकरों ने आचार के नियम बांध दिए हैं। विविध भूमिका पर अपेक्षित आचार-संहिता यह जैनधर्म का प्रसिद्ध प्रथम आगम “आचारांग सूत्र' है, जिसमें भगवान महावीर ने साधक जीवन की सफलता हेतु एक * जिनभारती

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