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पंचभाषी पुष्पमाला मधुरता, मुखाकृति की सौम्यता, ज्ञान की गंभीरता, अंतरात्मा की निर्दोषता और देखते ही मन को हर ले ऐसी महात्म्यवान है।
अगर हम अवगाहन कर सकें तो इस पुष्पमाला में छः पद की सिद्धि का मार्मिक स्पष्टीकरण भी समाविष्ट हआ है। _इस माला में आज की सुबह-दोपहर-शाम की दिनचर्या का आयोजन समझाया गया है।
तदुपरांत, जीवन से संबंधित प्रत्येक प्रवृत्ति या जीवन की आवश्यकताएँ जैसे की आहार, निद्रा, आराम, आमोदप्रमोद आदि के विषय में नए कर्मबंध न हों ऐसी दिव्य दृष्टि प्रदान की है।
यह हमें मन, वचन, काया के तीन दंडों से कैसे निवृत्त होना यह समझाती है।
उसी प्रकार आत्मकल्याण, सुख के परम साधन, सत्संग की प्रेरणा देती है। __ प्रभु की वैराग्यपूर्ण भक्ति, पुनर्जन्म में विश्वास, नीति, सदाचरण, अवैर, क्षमा, संतोष, निरभिमानिता, दया, इन्द्रियदमन, परोपकार, शील, सत्य, विवेक आदि आत्महितकारी विषयों की सुदृढ़ता करवाती है।
जिनभारती