Book Title: Panchbhashi Pushpmala Hindi
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 37
________________ ३५ पंचभाषी पुष्पमाला हो, उसे ही अपना आयुष्य समझकर सवृत्ति की ओर अभिमुख बनो। ८३. सत्पुरुष विदुरजी के कथन के अनुसार आज ऐसा कृत्य करो कि जिससे रात के समय तुम सुखपूर्वक सो सको। ८४. आज का दिन सुवर्ण का दिन है, पवित्र हे, कृतकृत्य होने योग्य है ऐसा सत्पुरुषों ने कहा है, अतः उसे मान्य करो। ८५. यथा संभव आज के दिन के संबंध में, स्वपत्नी के प्रति भी, कम विषयासक्त रहना। ८६. आत्मिक एवं शारीरिक शक्ति की दिव्यता का वह मूल है-यह ज्ञानीयों का अनुभवसिद्ध वचन है। ८७. तम्बाकू सूंघने जैसा छोटा व्यसन भी यदि हो, तो आज से उसका पूर्ण त्याग करो। नवीन व्यसन मत करो। ८८. इस प्रभात की वेला में देश, काल और मित्र इन सब के विषय में विचार सभी मनुष्यों के लिए स्वशक्ति अनुसार करना उचित है। ८९. आज कितने सत्पुरुषों का समागम हुआ? ॐ जिनभारती

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