Book Title: Panchbhashi Pushpmala Hindi
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 38
________________ पंचभाषी पुष्पमाला आज वास्तविक आनंद-स्वरूप क्या हुआ ? ऐसा चिंतन विरल पुरुष करते हैं। ९०. आज तुम चाहे कितने भी भयंकर किंतु उत्तम कृत्य में यदि तत्पर हए हो तो नाहिंमत मत होना। ९१. शुद्ध सच्चिदानंद, करुणामय परमेश्वर की भक्ति तुम्हारे आज के सत्कृत्य का जीवन है। ९२. तुम्हारा, तुम्हारे परिवार का, मित्र का, पुत्र का, पत्नी का, मातापिता का, गुरु का, विद्वान का, सत्पुरुष का यथाशक्ति हित, सन्मान, विनय, लाभ का कर्तव्य यदि हुआ हो तो आज के दिन की वह सुगंध है। ९३. जिसके घर, आज का दिन क्लेशमुक्त, स्वच्छतायुक्त, शुचितासहित, संपसहित, संतोषसहित, सौम्यतासहित स्नेहसहित, सभ्यतासहित, सुखपूर्वक व्यतीत होगा, उसके घर में पवित्रता का निवास है। ९४. कुशल एवं आज्ञांकित पुत्र, आज्ञावलंबी धर्मयुक्त अनुचर, सद्गुणी सुंदरी, संप से भरा परिवार, सत्पुरुष के समान स्वयं की दशा जिस ॐ जिनभारती

Loading...

Page Navigation
1 ... 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46