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पंचभाषी पुष्पमाला १०६. सत्शीलवान सुखी है, दुराचारी दुःखी है -
यह बात यदि मान्य न हो तो इसी क्षण से लक्ष रखते हए इस बात पर विचार कर के देखो।
१०७. इन सब का सरल उपाय आज बता देता हूँ
कि दोषों को पहचान कर दोषों को दूर करें। १०८. दीर्घ, संक्षिप्त या क्रमानक्रम किसी भी
स्वरूप में मेरे द्वारा कही गई, पवित्रता के पुष्पों से आवृत्त (Dथी हुई) इस माला का प्रभात या संध्या के समय अथवा अन्य अनुकूल निवृत्ति में चिंतन मनन करने से मंगलदायक होगा। विशेष
क्या कहूँ? "आप की आत्मा का इससे कल्याण हो, आप को ज्ञान, शांति तथा आनंद प्राप्त हो, आप परोपकारी, दयावान, क्षमावान, विवेकशील एवं बुद्धिमान बने ऐसी शुभयाचना अर्हत् भगवान के पास करते हुए इस पुष्पमाला को पूर्ण करता हूँ।''
|| ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।
एक जिनभारती