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पंचभाषी पुष्पमाला
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७१. व्यावहारिक प्रयोजन में भी उपयोगपूर्वक विवेकवान रहने की सत्प्रतिज्ञा लेकर आज के दिवस में प्रवर्तित होना ।
७२. सायंकाल होने के पश्चात् विशेष शांति धारण
करना ।
७३. आज के दिन में इन विषयों में यदि बाधा न आए तो ही वास्तविक विचक्षणता मानी जा सकती है :- १. आरोग्य, २ महत्ता, ३. पवित्रता, ४ . कर्त्तव्य |
७४. यदि आज तुम्हारे हाथों से कोई महान कार्य हो रहा हो तो तुम अपने सर्व सुखों का भी बलिदान दे देना ।
७५. कर्ज़ नीच रज (क+रज) है, कर्ज़ यम के हाथों निष्पन्न हुई वस्तु है; (कर+ज); कर यह राक्षसी राजा का ज़ुल्मी कर उगाहनेवाला है। यदि यह है तो आज ही उससे मुक्त हो जाओ और नया लेना बंद करो ।
७६. दिवस से संबंधित कृत्यों का लेखा-जोखा अब देख लो, उसके विषय में चिंतन ( आत्मनिरीक्षण, प्रतिक्रमण) कर लो।
जिनभारती