Book Title: Panchbhashi Pushpmala Hindi
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 19
________________ १७ पंचभाषी पुष्पमाला अतः आइए हम उसका लक्षपूर्वक मनन करें । "दस वर्षे रे धारा उल्लसी .. " वह ज्ञानधारा प्रवाहित हुई - शब्दों के द्वारा । उसमें निमज्जन करें... डूब जाएँ... इस माला में परमात्मा आज के ही दिन का कर्त्तव्य निर्दिष्ट कर के, उसी के द्वारा समस्त जीवन का कर्त्तव्य निर्दिष्ट कर दिया है और यही उनकी खूबी है । इस माला के वचनों के मनन के हेतु, परिचर्यन के हेतु, श्री वचनामृतजी ग्रंथ का आधार लिया है। परमात्मा ने बाल्यवय में जो प्रौढ़ विचारणा तथा सूक्ष्मबोध दिया है वैसा ही अविरोधरूप से सूक्ष्मबोध, विस्तारपूर्वक मुमुक्षु भाइयों के पत्रों का समाधान करते हुए प्ररूपित किया है । श्री वचनामृतजी ग्रंथ के आदि, मध्य तथा अंत के कुछ वाक्यों में तथा भावों में कुछ अंशों में साम्य दृष्टिगत होता है। उसमें गहराई में जाने से आश्चर्यमग्न हो जाते हैं कि अहो! जन्मज्ञानी ! इतनी लघु आयु में आपने पुष्पमाला में छोटे छोटे वाक्यों में कितना विस्तृत श्रुतसागर समाविष्ट कर दिया है !! प्रभु के घर का यह प्रसाद, उसका अभ्यास करनेवालों के लिए आत्मोन्नति के चाहक ऐसे हम जिनभारती

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