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पंचभाषी पुष्पमाला २९. यदि तुम स्त्री हो तो अपने पति के प्रति अपने
धर्मकर्तव्य का स्मरण करो; अगर दोष हए हों तो क्षमायाचना करो तथा परिवार की ओर दृष्टि
करो। ३०. यदि तुम कवि हो तो असंभवित प्रशंसा का
स्मरण करते हुए आज के दिन में प्रवेश करो। ३१. यदि तुम कृपण हो तो -
(अपूर्ण वाक्य का अभिप्रेत अर्थ : कृपण, कंजूस, लोभी व्यक्ति में धर्म-प्राप्ति की, ज्ञानी का धर्मोपदेश ग्रहण करने की, पात्रता एवं
क्षमता नहीं होती। - सम्पादक) ३२. यदि तुम अमलमस्त (मदोन्मत्त सत्ताधीश) हो
तो नेपोलियन बोनापार्ट का (उसकी) दोनो
स्थितियों में स्मरण करो। ३३. यदि बीते हए कल का कोई कार्य अपूर्ण रहा हो
तो उसे पूर्ण करने का सुविचार करके आज के
दिन में प्रवेश करो। ३४. आज यदि कोई कार्य आरम्भ करने की इच्छा हो
तो विवेकपूर्वक समय, शक्ति तथा परिणाम का विचार करके आज के दिन में प्रवेश करो।
छुप जिनभारती