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पंचभाषी पुष्पमाला ४०. यदि तुम दुराचारी हो तो अपने आरोग्य, भय,
परतंत्रता, स्थिति और सुख इन सब का विचार
कर के आज के दिन में प्रवेश करो। ४१. यदि तुम दुःखी हो तो (आज की) आजीविका के
लिए पर्याप्त हो उतनी ही आशा रखकर आज के
दिन में प्रवेश करो। ४२. धर्मकरणी के लिए अवश्य समय प्राप्त करके
आज के दिन की व्यवहारसिद्धि में तुम प्रवेश
करो। ४३. कदापि प्रथम प्रवेश के समय अनुकूलता न हो
तो भी प्रतिदिन बीत रहे दिन के स्वरूप के विषय में विचार कर के आज किसी भी समय उस
पवित्र वस्तु का मनन करना । ४४. आहार, विहार, निहार विषयक अपनी प्रक्रिया
को जाँच करके आज के दिन में प्रवेश करना । ४५. यदि तुम कारीगर हो तो आलस्य तथा शक्ति के
दुरुपयोग के विषय में विचार करके आज के
दिन में प्रवेश करो। ४६. तुम किसी भी प्रकार के व्यवसाय में हो, परंतु
आजीविका हेतु अन्यायसंपन्न द्रव्य उपार्जन मत करना।
जिनभारती की