Book Title: Panchbhashi Pushpmala Hindi
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 32
________________ ३० पंचभाषी पुष्पमाला (प्रभुवचनों में, सत्पुरुष के गुणचिंतन में, . प्रभुभक्ति में, स्वाध्याय-ध्यान में, सत्कार्यों में लीन रहें।-सम्पादक) ५५. वचन शांत, मधुर, कोमल, सत्य एवं शुचितापूर्ण बोलने की सामान्य प्रतिज्ञा करके आज के दिन में प्रवेश करना। ५६. काया मलमूत्र का अस्तित्व है इसलिए "मैं इस कैसे अयोग्य प्रयोजन में (उसका उपयोग कर) आनंद मना रहा हँ?'' - ऐसा आज विचार करना। ५७. तुम्हारे हाथों किसी की आजीविका आज टूटनेवाली हो तो - (सूचित संकेतार्थ : स्वार्थ के कारण किसी की आजीविका तोड़े नहीं और नौकर आदि की गलती हुई हो तो प्रथम सीख से सुधारना, भय बताना, दया-चिंतन कर के अंत में निरुपाय हो तो ही किसी को नौकरी से विदा करना यह उचित व्यवहार नीति है। परंतु छोटे-से सामान्य अपराध के कारण से उसे नीतिविरुद्ध बड़ी सज़ा नहीं देना । यहाँ यह सारा सोच-विचार कर कदम उठाने का संकेत दिखता है। - सम्पादक) छु जिनभारतीय

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