Book Title: Panchbhashi Pushpmala Hindi
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 27
________________ ૨૭ पंचभाषी पुष्पमाला २१. प्रजा के दुःख, अन्याय और कर इत्यादि की जाँच कर के आज उन्हें कम करो। तुम भी, हे राजन् ! काल के घर आए हुए एक अतिथि हो ! २२. यदि तुम वकील हो तो इस से आधे विचार का मनन कर लो। २३. यदि तुम श्रीमंत हो तो पैसों के उपयोग के विषय में विचार करो। पैसे कमाने का प्रयोजन खोज कर आज बताओ। २४. धान्यादिक व्यापार में होनेवाली असंख्य हिंसा का स्मरण करके न्यायसंपन्न व्यापार में आज अपने चित्त को लगाओ। २५. यदि तुम कसाई हो तो अपने जीव के सुख का विचार करके आज के दिन में प्रवेश करो। २६. यदि तुम समझदार बालक हो तो विद्या एवं आज्ञा की ओर दृष्टि करो। २७. यदि तुम युवान हो तो उद्यम और ब्रह्मचर्य के प्रति दृष्टि करो। २८. यदि तुम वृद्ध हो तो मृत्यु की ओर दृष्टि करके आज के दिन में प्रवेश करो। * जिनभारती

Loading...

Page Navigation
1 ... 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46